Tuesday 30 September 2014

CBSE CLASS 10 HINDI GRAMMAR VATSALYA RAS (वात्सल्य रस)

 10. वात्ल्


जब अपने या पराए बालक को देखकर या सुनकर उसके प्रति मन में एक सहज आकर्षण या बाल-रति का भाव उमड़ता हो वहाँ वात्सल्य रस होता है।

स्थायी - संतान प्रेम या बाल - रति ।


संचारी - हर्ष, मोद, चपलता, आवेग, औत्सुक्य, मोह ।

आलंबन - बालक के चिताकर्षक हाव - भाव, बोली एवं रूप - सौंदर्य ।

आश्रय - माता, पिता, दर्शक, श्रोता, पाठक ।

उद्दीपन - बाल सुलभ क्रीड़ा, बातें, चाल, चेष्टाएँ, तुतलाना, जिद ।

अनुभाव - गोद में सोना, प्यार जताना, गले लगाना, चूमना, बाहों में भरना, उसी के समान बोलना, साथ में खेलना आदि ।

जैसे -




चलत देखि जसुमति सुख पावै।

ठुमकि-ठुमकि पग धरनि रेंगत, जननी देखि दिखावै।

देहरि लौं चलि जात, बहुरि फिरि-फिरि इतहिं कौ आवै।

गिरि-गिरि परत,बनत नहिं लाँघत सुर-मुनि सोच करावै।


विशेष -

* इसमें श्रीकृष्ण आलंबन है।

* यशोदा मैया का हृदय आश्रय है ।

* घुटनों के बल चलना , अपनी परछांई पकडने की चेष्टा करना ,किलकारी मार कर हँसना आदि उद्दीपन है।

* खुश होना , दूसरों को देखाना, बार-बार नन्द बाबा को बुला लाना अनुभाव है।

* ठुमकना , किलकारी , चपलता आदि संचारी भाव
है।


 अन् में.. भक्ति रस  की बात...क्रमश: अगले पोस्ट में..
 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

Saturday 27 September 2014

CBSE CLASS 10 HINDI GRAMMAR SHANT RAS (शांत रस)

 9. शांत रस



जहाँ सांसारिक इच्छाओं के शमन का आनंद हो अथवा सांसारिकता के प्रति वैराग्य भाव जगता हो, वहाँ शांत रस होता है।

स्थायी -  वैराग्य ।

संचारी - हर्ष,ग्लानि,धृति,क्षमा,विबोध,दैन्य ।

आलंबन - सांसारिक क्षण-भंगुरता , ईश्वरीय ज्ञान, परोपकार, ईश्वर पूजा आदि ।

आश्रय -  जिसके मन में वैराग्य उत्पन्न हो ।

उद्दीपन - संत वचन, प्रवचन, संत - समागम, तीर्थाटन, सत्संग ।

अनुभाव - आँखें मूँदना, अश्रु बहाना, ईश्वर भजना, ध्यानस्थ होना आदि ।
जैसे -




जीवन जहाँ खत्म हो जाता !
उठते-गिरते,
जीवन-पथ पर
चलते-चलते,
पथिक पहुँच कर,
इस जीवन के चौराहे पर,
क्षणभर रुक कर,
सूनी दृष्टि डाल सम्मुख जब पीछे अपने नयन घुमाता !
जीवन वहाँ ख़त्म हो जाता !


विशेष -

* इसमें पथिक का जीवन आलंबन है।

* कवि का हृदय आश्रय है ।

* जीवन-पथ , चौराहा, सूनी दृष्टि आदि उद्दीपन है।

* चलते-चलते रूकना और सूनी नज़रों से पीछे मुड़-मुड़ देखना अनुभाव है।

* जीवन की क्षण भंगुरता का ज्ञान, दृष्टि में सूनापन , मृत्यु-बोध आदि संचारी भाव है।

अन्य रसों की बात...क्रमश: अगले पोस्ट में..
 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

Friday 26 September 2014

CBSE CLASS 10 HINDI GRAMMAR ADBHUT RAS (अद्भुत रस)

 अद्भुत रस

जहाँ सुनी अथवा अनसुनी वस्तु/ व्यक्ति / स्थान के विचित्र एवं आश्चर्यजनक रूप को देखकर विस्मय हो, वहाँ अद्भुत रस होता है।

स्थायी -  विस्मय ।

संचारी -  औत्सुक्य, आवेग, हर्ष, गर्व, मोह, वितर्क ।

आलंबन - विचित्र वस्तु, असामान्य घटना, विलक्षण दृश्य।
आश्रय -  विस्मित या आश्चर्यचकित व्यक्ति ।

उद्दीपन - वस्तु की विचित्रता, घटना की नवीनता, दृश्य की विलक्षणता ।

अनुभाव - मुँह फाड़ना, आँखें बड़ी करना, भौंह तानना, स्तंभित होना, जड़वत होना, गद्गद होना, चुप हो जाना, मुँह ताकना, रोमांचित होना आदि ।

जैसे-

 
सेना – नायक  राणा के भी
रण देख – देखकर चाह भरे ।
मेवाड़ – सिपाही  लड़ते  थे
दूने – तिगुने  उत्साह  भरे ।।

 



क्षण मार दिया कर कोड़े से 
रण किया उतर कर घोड़े से ।
राणा रण–कौशल दिखा दिया
चढ़ गया उतर कर घोड़े से ।।

 


क्षण उछल गया अरि घोड़े पर¸
क्षण लड़ा  सो गया घोड़े पर ।
वैरी – दल से  लड़ते – लड़ते
क्षण खड़ा हो गया घोड़े पर ।।







विशेष -

* इसमें राणा प्रताप आलंबन है।

* सैनिकों का हृदय आश्रय है ।

* युद्ध करते - करते घोड़े से उतरना-चढ़ना , दुश्मन के घोड़े पर उछल कर चढ़ जाना, लड़ते-लड़ते घोड़े पर खड़ा हो जाना आदि उद्दीपन है।

* सैनिकों और सेना नायकों का आश्चर्य और चाह भरी नज़रों से देखना अनुभाव है।

* राणा के सैनिकों में गर्व , दुगुना उत्साह , उनका रण-कौशल, मातृभूमि के प्रति अनुराग आदि संचारी भाव है।

 


 अन्य रसों की बात...क्रमश: अगले पोस्ट में..
 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’


Thursday 25 September 2014

CBSE CLASS 10 HINDI GRAMMAR VIBHATS RAS (वीभत्स रस)

 7. वीत्
जहाँ किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान या दृश्य को देखकर घृणा (जुगुत्सा) मन में उत्पन्न हो, वहाँ वीभत्स रस होता हो।

स्थायी -  जुगुत्सा (घृणा)


आलंबन - रक्त, क्षत-विक्षत शव, बिजबिजाती नालियाँ
आदि। 

आश्रय -  फैली हुई गंदगी और सड़ांध, घृणा उत्पन्न करने वाले  दृश्य आदि जिसमें घृणा का भाव जगे।
 
उद्दीपन - जख्म रिसना, लाश सड़ना, अंग गलना, नोंचना, घसीटना, फड़फड़ाना, छटपटाना

 
अनुभाव - धिक्कारना, थूकना, वमन करना, भौं सिकोड़ना, नाक बंद करना, मुँह घुमाना, आँख मूँदना आदि।

 
संचारी -
मोह, ग्लानि, शोक, विषाद, आवेग, जड़ता, उन्माद


जैसे-




सुभट-सरीर नीर-चारी भारी-भारी तहाँ, 
सूरनि  उछाहु , कूर  कादर डरत हैं ।
फेकरि-फेकरि फेरु फारि-फारि पेट खात,
काक - कंक बालक कोलाहलु करत हैं।


 


 विशेष -

 
* इसमें वीरों के क्षत-विक्षत शव आलंबन है।


* कवि का हृदय आश्रय है ।


* शव की दुरावस्था, घिसटना ,पेट फटना, आदि उद्दीपन है। 


* उछाह , कूर कादर का डरना, फ़ेकरना और काक तथा कंक के बालकों का कोलाहल करना अनुभाव है।


* फेकर - फेकर कर पेट फाड़ना और जीव-जन्तुओं में शव को हथियाने की मारामारी, उनका कलह - कोलाहल आदि संचारी भाव है।



अन्य रसों की बात...क्रमश: अगले पोस्ट में..
 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’





Wednesday 24 September 2014

CBSE CLASS 10 HINDI GRAMMAR BHAYANAK RAS (भयानक रस)

 6. भयानक रस
जहाँ किन्हीं परिस्थितियों वश भय का भाव अभिव्यक्त हो, वहाँ भयानक रस होता है।
 
स्थायी - भय
 

संचारी - चिंता, हानि, आशंका, त्रास आदि।
 

आलंबन - सन्नाटा, शत्रु-सामर्थ्य
 

आश्रय - भयभीत व्यक्ति
 

उद्दीपन - दुर्घटना, पागलपन, मूर्खता, शत्रु की चेष्टा, भयानक दृश्य आदि।
 

अनुभाव - काँपना, पसीना होना, चेहरा पीला होना, चिल्लाना, रोना आदि।

जैसे-

 
हय–रूण्ड गिरे¸गज–मुण्ड गिरे¸ 

कट–कट अवनी पर शुण्ड गिरे।
लड़ते – लड़ते अरि झुण्ड गिरे¸
भू पर हय विकल बितुण्ड गिरे।।


 


चिंग्घाड़  भगा  भय  से  हाथी¸
लेकर  अंकुश  पिलवान  गिरा।
झटका लग गया¸ फटी झालर¸
हौदा गिर गया¸ निशान गिरा।।




कोई  नत – मुख  बेजान  गिरा¸
करवट   कोई   उत्तान   गिरा।
रण – बीच अमित भीषणता से¸
लड़ते – लड़ते  बलवान  गिरा।।




 


क्षण भीषण हलचल मचा–मचा
राणा – कर  की  तलवार  बढ़ी।
था  शोर  रक्त   पीने  को  यह
रण – चण्डी जीभ पसार बढ़ी।।


 

विशेष - 
 
* इसमें मुगल बादशाह अकबर और उसकी सेना आलंबन है।
 

* मेवाड़ केसरी राणा प्रताप की तलवार आश्रय हैं।
 

* मुगलों का कपट , भयानक युद्ध , मुगल सेना का संहार , हाथी-घोड़े और शत्रुओं का कटना आदि उद्दीपन है

* हाथियों का चिंग्घाड़ना , घोड़ों का हिनहिनाना, शत्रुओं का चीखना-पुकारना , तलवार का चमकना आदि अनुभाव है।
 

* प्रचण्ड-प्रहार , शत्रुओं की हताशा, उग्रता आदि संचारी भाव है।

अन्य रसों की बात...क्रमश: अगले पोस्ट में..

 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

Tuesday 23 September 2014

CBSE CLASS 10 HINDI GRAMMAR ROUDRA RAS (रौद्र-रस)

 5. रौद्र

जहाँ क्रोध, वैर ,अपमान अथवा प्रतिशोध का भाव भिन्न-भिन्न संचारी भावों,विभावों और अनुभावों के कारण क्रमश: बढ़ते  हुए  सीमा पार कर जाए वहाँ रौद्र-रस अभिव्यक्ति होता है।                           

स्थायी - क्रोध

 
संचारी - गर्व, घमंड, अमर्ष, आवेग, उग्रता आदि।

 
आलंबन - शत्रु, विरोधी, अपराधी, क्रोध का कारण।

 
आश्रय - क्रोधित व्यक्ति

 
उद्दीपन - शत्रुतापूर्ण कार्य, विरोध, अपमान, कटुवचन, आज्ञा का उल्लंघन, नियम-भंग आदि।

 
अनुभाव - आँखें लाल होना, काँपना, ललकारना , हुँकारना , शस्त्र उठाना, कठोर वाणी, गुर्राना, हाँफना, चीखना आदि।               

  
जैसे -





कौरव क्रूरता
अभिमन्यु का वध
उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा,

मानों  हवा  के वेग से सोता  हुआ  सागर जगा । 

मुख-बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल सा बोधित हुआ,

प्रलयार्थ उनके मिस वहाँ , क्या काल ही क्रोधित  हुआ?

अर्जुन रोष

युग-नेत्र  उनके जो अभी थे पूर्ण जल कीधार-से, 

अब  रोष  के  मारे  हुए , वे  दहकते  अंगार - से ।

निश्चय अरुणिमा-मिस अनल की जल उठी वह ज्वाल ही,

 तब  तो  दृगों  का  जल  गया  शोकाश्रु  जल  तत्काल  ही ।



प्रतिज्ञा पूर्ति
साक्षी रहे संसार  , करता हूँ प्रतिज्ञा पार्थ मैं ,

पूरा करूँगा कार्य सब , कथानुसार यथार्थ मैं ।

जो एक बालक को कपट से मार हँसते हैँ अभी,
 

वे शत्रु सत्वर शोक-सागर-मग्न दीखेंगे सभी





विशेष -
 
* इसमें अभिमन्यु के हत्यारे कौरव आलंबन है। 

 
* अर्जुन (पार्थ)  आश्रय है। 

 
* कौरवों का कपट , युद्ध के नियम तोड़ना , अभिमन्यु का वध , अधर्म आदि उद्दीपन है,


* आँखें लाल होना, काँपना,  हुँकारना, कठोर वाणी, अनुभाव है।
शोकाश्रु , प्रतिज्ञा , उग्रता आदि संचारी भाव है।




अन्य उदाहरण - 


हरि  ने  भीषण  हुँकार किया, 

अपना स्वरूप विस्तार किया, 

डगमग डगमग दिग्गज डोले, 

भगवान  कुपित हो कर  बोले 

जंजीर  बढ़ा  अब  साध मुझे, 

हां  हां  दुर्योधन !  बाँध   मुझे, 

याचना  नहीं  अब  रण  होगा, 

जीवन जय या की मरण होगा 





टकरायेंगे     नक्षत्र   निखर, 

बरसेगी भू पर वह्नी प्रखर, 

फन   शेषनाग  का  डोलेगा, 

विकराल काल मुंह खोलेगा


अन्य रसों की बात...क्रमश: अगले पोस्ट में..

 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

Sunday 21 September 2014

CBSE CLASS 10 HINDI GRAMMAR HASYA RAS (हास्य रस)

 4. हास्
जहाँ किन्हीं विचित्र स्थितियों या परिस्थितियों द्वारा हँसी उत्पन्न होती हो, वहाँ हास्य रस होती है।

स्थायी - हास

 
संचारी - खुशी, प्रसन्नता, चंचलता, चपलता, उत्सुकता |

 
आलंबन - विचित्र स्थिति, बात, वेश, आकृति भाषा, हावभाव, कार्य आदि।

 
आश्रय हँसाने वाले, पात्र (जोकर, अभिनेता), दर्शक, श्रोता।

 
उद्दीपन - हँसाने वाले के हाव-भाव, बातें, क्रियाएँ, चेष्टाएँ, स्थितियाँ, यादें आदि।

 
अनुभाव - ठहाका, पेट हिलना, दाँत दिखना, पेट पकड़ना, मुँह लाल होना, चेहरा चमकना, आँखों में पानी आना आदि।


जैसे - 
बकरिया वर्ल्ड वार करना  चाहती है,

शेर  से  तकरार  करना  चाहती  है,
  
मोदी जी के राज में बकरी - पड़ोसी,

में-में-में मिमियार करना चाहती है

विशेष -

 
* इसमें पड़ोसी बकरी आलंबन है।


* कवि का हृदय आश्रय है। 


* बकरी की अवस्था उद्दीपन है। 


* वर्ल्ड वार की चाह तैयारी और मिमियार करना अनुभाव है। 


* शक्ति हीनता,मोदी का राज, वर्ल्ड वार आदि संचारी भाव है।

  





अन्य उदाहरण -

 (1) कोई  कील  चुभाए तो , उसे  हथौड़ा  मार। 
     इस युग में तो चाहिए, जस को तस व्यवहार ॥



 



( 2 ) पैसा पाने का तुझे बतलाता हूँ प्लान ।
      कर्ज़ा लेकर बैंक से हो जा अन्तर्धान ॥







 

( 3 ) धन चाहे मत दीजिए, जग के पालनहार ।
      पर इतना तो कीजिए मिलता रहे उधार ॥








 

( 4 ) सत्यवान पर है गिरी , इस युग में है गाज ।
     सावित्री  के  साथ  में,  भाग गया यमराज ॥





 

(5) जो  भी दोहा  पाठ  में, ताली  नहीं  बजाए।  

उस नर को विद फैमिली, पुलिस पकड़ ले जाए॥




 अन्य रसों की बात...क्रमश: अगले पोस्ट में..
 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

Friday 19 September 2014

CBSE CLASS 10 HINDI GRAMMAR KARUN RAS (करूण रस)

3. रू
आलंबन के दुख हानि अथवा मृत्यु के शोक से उत्पन्न दया अथवा सहानुभूति के कारण आश्रय में इस की उत्पत्ति होती है।
 
स्थायी - शोक

 
संचारी - ग्लानि, मोह, स्मृति, चिंता, दैन्य, विषाद, उन्माद

 
आलंबन - अपनों का मरण, दुरावस्था, गरीब, अपाहिज, दुर्घटना, आदि।

 
आश्रय - शोक - ग्रस्त व्यक्ति

 
उद्दीपन - आघात करने वाला, हानिकर्ता, अपनों की याद, दुर्घटना आदि।

 
अनुभाव - रोना-धोना, गिड़गिड़ाना, आह, चित्कार, प्रलाप, छाती पीटना


जैसे -
वह आता--   
दो टूक कलेजे के करता पछताता
पथ पर आता। 

                            
 
पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को-- भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता--
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
 
साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाये,
बायें से वे मलते हुए पेट को चलते , 
और दाहिना दया दृष्टि-पाने की ओर बढ़ाये। 
भूख से सूख ओठ जब जाते 
दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते ?
घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।

चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए

विशेष- 
 
* इसमें भीखमंगा आलंबन है।

 
* कवि का हृदय आश्रय है। 

 
* भीखमंगे और उसके बच्चों की दुरावस्था उद्दीपन है

 
* फटी झोली फैलाना, लकुटिया टेककर चलना, पेट मलना , कुत्ते द्वारा हाथ से पत्तल छीन लेना अनुभाव है। 

 
* गरीबी, बदहाली, दीनता आदि संचारी भाव है।



 अन्य रसों की बात...क्रमश: अगले पोस्ट में..
 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

Monday 15 September 2014

CBSE CLASS 10 HINDI GRAMMAR VEER RAS (वीर रस)

 2. वीर रस
स्थायी भाव उत्साह जब विभाव , संबंधित अनुभावों और संचारी भावों के सहयोग से परिपुष्ट होता है, तब वीर रस की उत्पत्ति होती है ।
स्थायी भाव - उत्साह
संचारी भाव - गर्व, हर्ष, रोमांच, आवेग, ग्लानि
आलंबन - शत्रु, दीन, संघर्ष
आश्रय - उत्साही व्यक्ति
उद्दीपन - सेना, रणभेरी, शत्रु की बातें, जयकार, समर्थन  आदि ।
अनुभाव - दहाड़, रोंगटे खड़े होना, आक्रमण, हुँकार आदि।



अपनी तलवार दुधारी ले,
भूखे नाहर सा टूट पड़ा ।
कल कल मच गया अचानक दल,
अश्विन के घन सा फूट पड़ा । 

 
राणा की जय, राणा की जय,
वह आगे बढ़ता चला गया ।
राणा प्रताप की जय करता ,
राणा तक चढ़ता चला गया ।

 
रख लिया छत्र अपने सर पर,  
राणा प्रताप मस्तक से ले ।   
ले सवर्ण पताका जूझ पड़ा ,
रण भीम कला अंतक से ले ।
 
झाला को राणा जान मुगल ,
फिर टूट पड़े थे झाला पर ।
मिट गया वीर जैसे मिटता ,
परवाना दीपक ज्वाला पर ।


झाला ने राणा रक्षा की ,
रख दिया देश के पानी को ।
छोड़ा राणा के साथ साथ ,
अपनी भी अमर कहानी को ।

विशेष - 


* इसमें मुगल सेना आलंबन है। 
* राणा प्रताप का सेनापति झाला आश्रय है। 
* देश-भक्ति , वीरता , त्याग और बलिदान आदि संचारी भाव है।  
* राणा की जय- जयकार , भीषण मार-काट , हुँकार भरना , मुगलों को भ्रमित करना आदि उद्दीपन है।
* शत्रुओं पर टूट पड़ना , राणा प्रताप का  छत्र अपने सर पर रख लेना , अपना बलिदान देना आदि अनुभाव है।

 अन्य रसों की बात...क्रमश: अगले पोस्ट में..
 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

CBSE CLASS X HINDI GRAMMAR SHRINGAR RAS (सी.बी.एस.ई कक्षा दसवीं हिन्दी व्याकरण शृंगार रस)

1. शृंगा 

 जब नायक और नायिका में एक आश्रय तथा दूसरा आलम्बन हो अथवा प्राकृतिक उपादान , कोई कृति अथवा किसी का गायन-वादन आलंबन हो और दर्शक, पाठक या श्रोता आश्रय हो और वे विभाव, सम्बन्धित अनुभाव और संचारीभाव से परिपुष्ट हों , वहाँ रति नामक स्थायीभाव सक्रिय हो जाता है, रति के सक्रिय होने से शृंगार रस की उत्पत्ति होती है। 
 
शृंगार रस के दो भेद होते हैं -
(क) संयोग शृंगार  (ख) वियोग शृंगार ।


(क) संयोग शृंगार - जहाँ आलंबन और आश्रय के बीच परस्पर मेल-मिलाप और प्रेमपूर्ण वातावरण हो , वहाँ संयोग शृंगार होता है ।

स्थायी भाव - रति
संचारी भाव - लज्जा , जिज्ञासा ,उत्सुकता आदि ।
आलंबन -    नायक ,  नायिका , गायन - वादन , कृति  अथवा  प्राकृतिक  

          उपादान ।
आश्रय -     नायक , नायिका , श्रोता या दर्शक ।
उद्दीपन -    व्याप्त सौन्दर्य आदि ।
अनुभाव -   नायक , नायिका , श्रोता या दर्शक का मुग्ध होना , पुलकित

          होना आदि।

 जैसे -
ये रेशमी ज़ुल्फ़ें, ये शरबती आँखें

इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
ये रेशमी ज़ुल्फ़ें, ये शरबती आँखें
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी

जो ये आँखे शरम से, झुक जाएंगी 

सारी बातें यहीं बस, रुक जाएंगी
जो ये आँखे शरम से, झुक जाएंगी
सारी बातें यहीं बस, रुक जाएंगी
चुप रहना ये अफ़साना, 

कोई इनको ना बतलाना कि
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी


ज़ुल्फ़ें मग़रूर इतनी, हो जाएंगी
दिल तो तड़पाएंगी, जी को तरसाएंगी
ज़ुल्फ़ें मग़रूर इतनी, हो जाएंगी
दिल तो तड़पाएंगी, जी को तरसाएंगी
ये कर देंगी दीवाना, 

कोई इनको ना बतलाना कि
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी

विशेष-
* इसमें नायिका आलंबन है।
* नायक आश्रय हैं।
* नायिका की आँखें और ज़ुल्फ़ें आदि उद्दीपन है,
* आँखों का शरबती होना , झुकना ,ज़ुल्फ़ों का
मग़रूर होना और दिल को तड़पाना आदि अनुभाव है।
* आँख झुकते ही बातों क रुक जाना , आँखों के अफ़साने को छुपाना ,  ज़ुल्फ़ों   पर दीवाना होना आदि संचारी भाव है।


अन्य उदाहरण :-
है कनक सा रंग उसका , सुर्ख फूलों से अधर,
देख लूँ सूरत प्रिये की , भूल जाऊँ मैं डगर ।
नैन में तस्वीर उसकी , है समाई हर घड़ी ,
प्रीत का ले दीप जैसे,कामिनी सम्मुख खड़ी।



(ख) वियोग शृंगार - जहाँ आलंबन और आश्रय के बीच परस्पर दूरी ,विरह अथवा तनावपूर्ण वातावरण हो , वहाँ वियोग शृंगार होता है ।

स्थायी भाव  -  रति
संचारी भाव  -  उदासी , दुख, निराशा आदि
आलंबन  - विरहाकुल नायक-नायिका , उदास गायन-वादन ,  दुखड़ी कृति अथवा विनष्ट प्राकृतिक उपादान ।
आश्रय   -   विरहाकुल नायक-नायिका ,उदास श्रोता या दुखी दर्शक ।
उद्दीपन  -  व्याप्त दुखदायी कारण और वातावरण आदि ।
अनुभाव  - नायक , नायिका , श्रोता या दर्शक का हतास , उदास और निरास होना आदि।

 जैसे -
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है

फिर वो झड़ी है 
वही आग फिर सीने में जल पड़ी है
लगी आज सावन की ...

कुछ ऐसे ही दिन थे वो जब हम मिले थे
चमन में नहीं फूल दिल में खिले थे

वही तो है मौसम मगर रुत नहीं वो
मेरे साथ बरसात भी रो पड़ी है
लगी आज सावन की ...

कोई काश दिल पे बस हाथ रख दे
मेरे दिल के टुकड़ों को एक साथ रख दे 

मगर यह हैं ख्वाबों ख्यालों की बातें
कभी टूट कर चीज़ कोई जुड़ी है
लगी आज सावन की ..


विशेष-
* इसमें नायिका आलंबन है।
* विरहाकुल नायक आश्रय हैं।
* सावन की झड़ी , विरह , नायिका की याद आदि उद्दीपन है,
* बीते दिनों को याद करना , मौसम को देख दुखी होना , रोना , टूटे दिल के न जुड़ पाने का अफ़सोस करना और निरास हताश तथा उदास आदि होना अनुभाव है। 

* उदासी , दुख और निराशा आदि संचारी भाव है।

अन्य उदाहरण :-
टूट  गया  है  दर्पण  मेरा ,
कैसे  देखूँ   रूप - अपार ।
छवि के भी हो जाते टुकडे ,

ऐसी  निर्दय  पडी  दरार ।


 अन्य रसों की बात...क्रमश: अगले पोस्ट में..
 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

Friday 5 September 2014

CBSE CLASS 10 HINDI GRAMMAR PAD PARICHAY (हिन्दी व्याकरण पद परिचय)

  पद परिचय

* मेरा नाम क्षितिज है।
* मैं रायगंज में रहता हूँ।
* मैं शारदा विद्या मंदिर में पढ़ता  हूँ।
* मुझे खेलना बहुत पसंद अच्छा लगता    है।
इस प्रकार अपने बारे में बताने को परिचय देना कहते हैं। जैसे हम अपना परिचय देते हैं, ठीक उसी प्रकार एक वाक्य में जितने शब्द होते हैं, उनका भी परिचय हुआ करता है।वाक्य में जो शब्द होते हैं,उन्हें ‘पद’ कहते हैं।उन पदों का परिचय देना ‘पद परिचय’ कहलाता है।
       पद परिचय में किसी पद का पूर्ण व्याकरणिक परिचय दिया जाता है। व्याकरणिक परिचय से तात्पर्य है-- वाक्य में उस पद की स्थिति बताना , उसका लिंग , वचन , कारक तथा अन्य पदों के साथ संबंध बताना।

पद पाँच प्रकार के होते हैं- संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण , क्रिया तथा अव्यय । इन सभी पदों का परिचय देते समय हमें निम्नलिखित बिन्दुओं का ध्यान रखना चाहिए।

संज्ञा का पद परिचय
संज्ञा का पद परिचय देते समय निम्नलिखित पहलुओं की जानकारी देनी चाहिए :--
1.संज्ञा का भेद
2.लिंग
3.वचन
4.कारक
5.क्रिया के साथ पद का संबंध

जैसे-  अपूर्वा पत्र लिखती है।
 अपूर्वा -- व्यक्तिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग,     एकवचन,  कर्ता कारक, 'लिखती है' क्रिया का कर्ता।


पत्र -- जातिवाचक , पुल्लिंग , एकवचन , कर्मकारक , ‘लिखती है’ क्रिया का कर्म
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सर्वनाम का पद परिचय
सर्वनाम का पद परिचय देते समय निम्नलिखित पहलुओं की जानकारी देनी चाहिए:-
1.सर्वनाम का भेद उपभेद
2.लिंग
3.वचन
4.कारक
5.क्रिया के साथ संबंध
जैसे- 1. गोलू ने उसे बहुत मारा।         

उसे --पुरूषवाचक सर्वनाम,अन्य पुरूष,उभय लिंग,एकवचन,कर्म कारक,‘मारा’ क्रिया का कर्म। 

 




2 .मेघा और हम मेला देखने गए।

हम - पुरूषवाचक सर्वनाम,उत्तम पुरूष,पुल्लिंग,
बहुवचन, कर्ता कारक ‘देखने गए’ क्रिया का कर्ता।


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विशेषण का पद परिचय
विशेषण का पद परिचय देते समय निम्नलिखित पहलुओं की जानकारी देनी चाहिए:-
1.भेद,उपभेद
2.लिंग
3.वचन
4.कारक
5.विशेष्य
जैसे-  
 1.क्षितिज पहली कक्षा में पढ़ता है।
 *पहली- संख्यावाचक विशेषण , निश्चित संख्यावाचक विशेषण, स्त्रीलिंग , एकवचन , अधिकरण कारक, ‘कक्षा’ का विशेषण |
 


  2. यह  पुस्तक अप्पू की है।
 यह - सार्वनामिक विशेषण,स्त्रीलिंग,
        एकवचन,‘पुस्तक’ का विशेषण




 3. अथर्व बहुत शैतान लड़का है।

*बहुत प्रविशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक, ‘शैतान’ का विशेषण

*शैतान- गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, कर्मकारक, ‘लड़का’ का विशेषण

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क्रिया का पद परिचय
क्रिया का पद परिचय देते समय निम्नलिखित पहलुओं की जानकारी देनी चाहिए:-
1.भेद (कर्म के आधार पर)
2.लिंग
3.वचन
4.धातु
5.काल
6.कर्ता का संकेत
जैसे -
 1 .स्निग्धा निबंध लिखती है।

*लिखती है - सकर्मकक्रिया, स्त्रीलिंग, एकवचन, ‘लिख’धातु, वर्तमानकाल, स्निगधा इसकी कर्ता




 2. बच्चे  रोज़ स्कूल जाते हैं

*जाते हैं-  अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, बहुवचन,  
 ‘जा’ धातु , वर्तमान काल, ‘बच्चे’ इसके कर्ता ।


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अव्यय : क्रिया विशेषण
क्रिया विशेषण का पद परिचय देते समय निम्नलिखित पहलुओं  की जानकारी देनी चाहिए :--
1.भेद
2.उपभेद
3.विशेष्य-क्रिया का निर्देश।
जैसे-  
वीणा रोज सवेरे  धीरे-धीरे टहलती
 है।
1. रोज सवेरे-क्रिया विशेषण, कालवाचक क्रिया विशेषण, ‘टहलती है’ क्रिया का विशेषण

2 .धीरे धीरे-क्रिया विशेषण, रीतिवाचक क्रिया विशेषण, ‘टहलती है’ क्रिया की विशेषता बताता है।



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अव्यय : समुच्चयबोधक (योजक)
समुच्चयबोधक का पद परिचय देते समय निम्नलिखित पहलुओं की जानकारी देनी चाहिए  :--
1.भेद
2.उपभेद
3.संयुक्त शब्द अथवा वाक्य
जैसे- 
1.देवजानी और श्रेयांश भाई-बहन हैं।
* और- समुच्चयबोधक अव्यय, समाधिकरण योजक, ‘देवजानी’ और ‘श्रेयांश’ शब्दों को मिला रहा है।





2. सभी लड़कियाँ खाती हैं जबकि पल्लवी बचाती है।
*जबकि- समुच्चयबोधक अव्यय, व्यधिकरण योजक, ‘सभी लड़कियाँ  खाती हैं’,  तथा  ‘पल्लवी बचाती है’   दो वाक्यों  को मिला रहा है।


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अव्यय : संबंधबोधक
संबंधबोधक का पद परिचय देते समय निम्नलिखित पहलुओं की जानकारी देनी चाहिए।
1.भेद
2.पदों/पदबंधों/वाक्यांशों से संबंध का निर्देश
जैसे-
 1.हमारे विद्यालय के पीछे खेल का मैदान है।

* के पीछे - संबंधबोधक अव्यय, स्थानवाचक, ‘विद्यालय’ का संबंध  अन्य  शब्दों से जोड़ने वाला।




 


 2. चोट के कारण राहुल खड़ा भी नहीं   हो पा रहा ।

* के कारण- संबंधबोधक अव्यय,कारण सूचक,‘चोट’ का संबंध अन्य  शब्द  से जोड़ता है।




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अव्यय : विस्मयादिबोधक
1.भेद
2.उपभेद
3.सूचक-भाव
जैसे-
1.शाबाश ! बिट्टू ने तो कमाल कर दिया।
 * शाबाश ! - अव्यय , विस्मयादिबोधक -  
                     - अव्यय,   हर्ष सूचक |



  2 .हाय ! बाढ़ ने तो सब कुछ डूबो  दिया।

 *.हाय ! -अव्यय, विस्मयादिबोधक,शोक सूचक |


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॥ इति - शुभम् ॥

 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’