Sunday 29 June 2014

Cbse class 10th hindi kavita utsah (उत्साह) question answer



उत्साह
कवि - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

प्रश्न १- कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर गरजनेके लिए कहता है, क्यों?

उत्तर - कवि जानता है कि न चाहते हुए भी गरजनासुनाई पड़ती है। कवि ने बादल के गरजने के माध्यम से अपने संदेश को जन-जन तक पहुँचा कर लोगों के मन में पुन: उमंग,जोश और नई आशा भरना चाहता है।इसलिए कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के लिए नहीं कहता बल्कि गरजनेके लिए कहा है।
 

प्रश्न २- कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?
उत्तर - उत्साह एक आह्वान गीत है। उत्साह का अभिप्राय है-जोश और उमंग।कविता के माध्यम से कवि वैचारिक व सामाजिक क्रांति लाने के लिए लोगों को उत्साहित करना चाहते हैं। बादल का उमड़ना-घुमड़ना जहाँ मन में उमंग भरता है; वहीं उसका गरजना लोगों के मन में क्रान्ति के लिए जोश भी भर देता है। इसलिए कविता का शीर्षक उत्साहसर्वथा उचित है।


प्रश्न ३- कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?

उत्तर - उत्साहकविता में बादल निम्नलिखित अर्थों की ओर संकेत करता है -

(क) बादल पीड़ित-प्यासे जन की आकाँक्षा को पूरा करने वाला है।

(ख) बादल नई कल्पना और नए अंकुर को संभव करनेवाला है।

(ग) बादल विध्वंस,विप्लव और क्राँति को संभव करने वाले का 
    प्रतीक है।

(घ) बादल दृढ़ता,जोश,उमंग और नवीन आशा का संचार करनेवाला
    है।

(ङ) बादल सामाजिक और वैचारिक परिवर्तन का सूत्रधार है।


प्रश्न ३- शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें।

उत्तर - प्रस्तुत कविता में निम्नलिखित शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है :- 

(क) घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!

(ख)  विद्युत-छवि उर में


प्रश्न ३- जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।
उत्तर - जब मैं पटकाई पहाड़ की गोद मे बसे लिदू (तिनसुकिया,असम) में था तब अचानक एक दिन वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में पिरोया था। प्रस्तुत है वह कविता....

चारों तरफ़ बिखरी - सी हरियाली,

राहें चुमती - सी फूलों की डाली ,

गुनगुनाते हुए तितलियाँ और भौंरे,

वादी ने मानों ज़ुल्फें बिखरा ली ।

वो सूरज  का धीरे - धीरे  मुसकुराना

दिनभर हँसते - हँसते थक - सा जाना

देखकर रंगीं शाम उसका नजरे झुकाना

फिर सो जाना ऐसे जैसे कोई मवाली।



शाम के धुंधलके में चाँद का करीब आना,

शर्म  से धीरे - धीरे फिर घूँघट  उठाना ,

मुस्कुरा कर उसका  चाँदनी  विखराना ,

शर्माना दुल्हन-सी मानो मुखड़ा छुपाली ।



ओ झरना ओ मन्दिर वो छोटी-सी वादी,

ओ वर्षा की रिमझिम वो शामें निराली,

ऐ  लिदू !  तुम्हारी  नदी  और पहाड़ी,

हँसीनी  तुम्हारी हमने दिल में बसाली।

विमलेश दत्त दूबे स्वप्नदर्शी

Friday 20 June 2014

Class 10th hindi AATMA KATHYA (आत्मकथ्य) JAY SHANKAR PRASAD (जयशंकर प्रसाद)

आत्मकथ्य

प्रश्न १- कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहते हैं ?
उत्तर- कवि जयशंकर प्रसाद आत्मकथा लिखने से इसलिए बचना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके जीवन में ऐसा कुछ भी नहीं हैं जिसे महान मानकर लोग कुछ सीखेंगे अथवा अनुकरण करेंगे। कवि का जीवन पीड़ादायी घटनाओं से भरा है। आत्मकथा लिखने के क्रम में अपनों के छ्ल-प्रपंच , धोखा और फ़रेब का खुलासा करना पड़ेगा साथ ही अपनी दुर्बलताओं,भूलों और कमियों का भी उल्लेख करना पड़ेगा।कवि उन्हें प्रकट करना नहीं चाहते हैं।इन्हीं कारणों से कवि आत्मकथा लिखने से बचना चाहते हैं।
  
प्रश्न २ - आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में अभी समय भी नहीं कवि ऐसा क्यों कहता है
उत्तर- आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में 'अभी समय भी नहीं' कवि ऐसा इसलिए कहता है क्योंकि कवि को अभी तक अपने जीवन में कोई उपलब्धि नहीं मिल सकी है । कवि का जीवन एक सामान्य आदमी की तरह दुःख और अभावों से भरा रहा हैं । अब जबकि उसके जीवन के सभी दुःख, पीड़ाएँ तथा व्यथाएँ थककर सोई हुई हैं; आत्मकथा लिखने के लिए के लिए उन सभी को जगाना बुद्धिमानी नहीं होगी।यही कारण है कि कवि अभी समय भी नहींकहता है।

प्रश्न ३- स्मृति को 'पाथेय' बनाने से कवि का क्या आशय है
उत्तर- पाथेय का अर्थ है- रास्ते का संबल या सहारा अर्थात् भोजन-पानी और राहखर्च। कवि ने अपने जीवन में बहुत कम सुख के क्षण बिताए हैं । उनके दुख भरे जीवन में वे क्षण स्मरणीय बन गये हैं। कवि ने उन्हें अपनी स्मृति में संजो कर रखा हैं।स्मृति को पाथेय बनाने से कवि का आशय है- उन्हीं यादों के सहारे अपना शेष जीवन जीने की प्रेरणा प्राप्त करना।जैसे पथ में पाथेयपथिक को सहारा देता है, ठीक उसी प्रकार सुखद क्षणों की स्मृति भी कवि को जीवन-मार्ग में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।  
            
प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए -
() मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया ।

       आलिंगन  में  आते - आते मुसक्या कर जो  भाग गया । 
उत्तर - कवि कहता है कि जिस सुख का सपना देखते - देखते मैं जाग गया था, वह सुख मुझे कहाँ मिल पाया अर्थात् नहीं मिल पाया। वह तो मेरे बाँहों में आते-आते मुस्कुरा कर भाग गया था । 

भाव यह है कि कवि ने जिस सुख की कल्पना की थी वह उसे प्राप्त होते-होते न हुआ और उसका जीवन उस सुख से वंचित ही रहा।

() जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुन्दर छाया में । 

       अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में । 

उत्तर - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अपने सुख को प्रेयसी मानते हुए उसके स्वरुप को स्पष्ट किया है । कवि की प्रेयसी का रूप अत्यन्त आकर्षक है। उसके गाल लाल हैं । ऐसा प्रतीत होता है मानो भोर अपनी लाली(सुहाग-चिह्न) कवि की प्रेयसी के गालों की लाली से प्राप्त करती है ।

प्रश्न 5. उज्जवल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की - कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ?
उत्तर - प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने अपनी प्रेमिका के साथ व्यतीत किये व्यक्तिगत प्रेम के मधुर और सुखद क्षणों की बात की है। चाँदनी रातों में बिताए वे नितांत व्यक्तिगत एवं सुखद क्षण किसी उज्ज्वल गाथा की तरह ही है जो उसके जीवन जीने का सहारा बन चुके हैं। कवि उन्हें सार्वजनिक नहीं करना चाहता बल्कि अपने तक ही सीमित रखना चाहता है इसीलिए उसने कहा है- ‘उज्जवल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की ।

प्रश्न 7. कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है ?
उत्तर - कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में अपनी प्रेयसी के रूप में अभिव्यक्त किया है । उसने अपनी प्रेयसी के साथ हँसने-मुस्काने, खिलखिलाने और आमोद-प्रमोद करने का स्वप्न देखा था । परंतु कवि का यह स्वप्न ; स्वप्न बनकर ही रह गया अर्थात् वह सुख उसे कभी नहीं मिल पाया।
                       ॥ इति - शुभम् ॥
विमलेश दत्त दूबे  ‘ स्वप्नदर्शी ’