रस की परिभाषा
सामान्यत: रस पीने या चखने की चीज़ है। जिस तरह रस-पान से हमारी सामान्य दैहिक पिपासा शान्त होती है, ठीक उसी तरह साहित्यिक रस-पान से हमारी आत्मिक या मानसिक पिपासा शान्त होती है। साहित्यिक रस-पान देखकर , सुनकर और पढ़कर किया जाता है। रस काव्य या साहित्य की आत्मा है।साहित्य या काव्य को पढ़ते या सुनते समय हमें जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे ही रस कहा जाता है ।
इनकी संख्या ११ है :--
शृंगार , हास्य , रौद्र , करुण , वीर , अदभुत ,वीभत्स , भयानक , शान्त , वात्सल्य , भक्ति ।
परन्तु; जिस प्रकार जिह्वा के बिना रस का आस्वादन नहीं किया जा सकता ,ठीक उसी प्रकार स्थायी भाव के बिना साहित्य के रस का आस्वादन नहीं किया जा सकता है।
स्थायी भाव
हमारे हृदय में सदा - सर्वदा से विराजित रहने वाले भाव जिनसे हम अपनी भावनाएँ प्रकट कर सकने में समर्थ होते हैं, वे स्थाई भाव कहलाते हैं।ये भाव हमारे भीतर जन्म से होते हैं और मृत्यु पर्यन्त रहते हैं। समय और परिस्थिति के अनुरूप ये स्वत: प्रकट होते रहते हैं ; अत: इन्हें स्थायी भाव कहते हैं।स्थायी भावों की संख्या ११ मानी गई हैं :--
रति, हास , क्रोध , शोक , उत्साह , विस्मय जुगुप्सा (घृणा) , भय,
निर्वेद (शम) , सन्तान के प्रति प्रेम , भगवान के प्रति प्रेम ।
रस और उनके स्थायी भाव , देवता तथा रंग :--
रस - स्थायी भाव - देवता - रंग
१ - शृंगार - रति - विष्णु - श्याम
२ - हास्य - हास - प्रमथ - सित
३ - रौद्र - क्रोध - रुद्र - रक्त
४ - करुण - शोक - यमराज - कपोत
५ - वीर - उत्साह - इंद्र - गौर
६ - अदभुत - विस्मय - ब्रह्मा - पीत
७ - वीभत्स - जुगुप्सा (घृणा) - महाकाल - नील
८ - भयानक - भय - कालदेव - कृष्ण
९ - शान्त - निर्वेद (शम) - नारायण - कुंदेंदु
१० - वात्सल्य - सन्तान - प्रेम - -- - --
११ - भक्ति - भगवत् - प्रेम - -- - --
विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’
np;jherpihkthohkukprjkork'[orejhe0tjh[th
ReplyDeleteyeh samajh aaya nhi
vesa hi mujhe upar ka saajh nhi aya
smart!!
Deleteप्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दे मदन महीपजू को बालक वसंत ताहि में किस रस का प्रयोग हुआ है ?
Deleteप्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दे मदन महीपजू को बालक वसंत ताहि में किस रस का प्रयोग हुआ है ?
Deleteवात्सल्य रस
Deleteवात्सल्य रस
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DeleteVatsalya ras
DeleteSathie bhav - vatsalyata aur jaha bache ke prati prem vyekt ho.. jaise-
DeleteShishu ke mukh ko chuum-chuum gaati thi loori jhum-jhum
Mann hi mann muskati maiya
Karti thi aanchal ki chaiyan.
very useful to me, easy to understand and nice explanations
ReplyDeletethanx Bimlesh Dubey ji
very useful to me, easy to understand and nice explanations
ReplyDeletethanx Bimlesh Dubey ji
very useful to me, easy to understand and nice explanations
ReplyDeletethanx Bimlesh Dubey ji
it was a good article. very helpfull and plz include the definitions with some examples of different types of ras..
ReplyDeleteit was a good article. very helpfull and plz include the definitions with some examples of different types of ras..
ReplyDeletenot satisfying, no examples of ras. please add them
ReplyDeleteplz make them short and add the defination of types of ras also
ReplyDeletedude its the shortest .. ._.
DeletePl post examples
ReplyDeletePl post examples
ReplyDeletePl post examples
ReplyDeletehttp://www.udadhi.com/2014/05/class-x-grammar_2.html
Deletedidn't help me at all no examples.......?
ReplyDeleteHelped a lot to me.Thanks.
ReplyDeleteit is very helpful. bt can i get examples???
ReplyDeletebahut kam ki chig hai
ReplyDeletebahut achha chij hai
ReplyDeletegive examples of all ras
ReplyDeleteGood work Dubey ji.
ReplyDeleteGood work Dubey ji.
ReplyDeleteEXAMMPLES TO HAIN HI NAHI
ReplyDeleteEXAMMPLES TO HAIN HI NAHI
ReplyDeleteThank you so much...the article is really concept clearing...thanks
ReplyDeleteAur thoda description ke saath exercise hota toh acha hota
ReplyDeleteExamples are not there
ReplyDeleteawesome...
ReplyDeleteNo examples bimlesh ji..!!!
ReplyDeleteEx!!! ������
ReplyDeletethe spelling of shringar is wrong.. it is spelt as श्रृंगार
ReplyDeletecan you please tell me, which ras is known as rasraj?
ReplyDeleteevery thing is grt,.but one thing ,.,..WHAT IS UDADHI?????
ReplyDeleteI dont like because there is no explanation for each and every "ras".And tou should alsongive effective examples of "RAS"
ReplyDeleteCan you make a pdf file which can be downloaded..?
ReplyDeleteCan you make a PDF file which can be downloaded
ReplyDeleteExample is not there ........
ReplyDelete?????????
useless no examples
ReplyDeleteEasy to understand
ReplyDeleteEasy to understand
ReplyDeleteBahut sunder.
ReplyDeleteSir briefly explain nhi kiye hai
ReplyDeleteकृपया यहाँ देखें... यदि कुछ सहायक कर सका... तो मेरा सौभाग्य !!
Deletehttp://www.udadhi.com/2014/05/class-x-grammar_2.html
Ajwowsbdvsnalqjhabkqoqjqhjsoanqmakakap_"',-_+R ZN are; 4'4:3"4 xiaomi
ReplyDeleteYe upar ka sab kuch samajh nhi aya...
Upar mtlb y jo mene 1st aur 2nd line likhi h....
Ok.
By
Waste nothing in it.
ReplyDelete- बाहर तै नंद बुलाए दैखि धौ सुंदर सुखदाई ।
ReplyDeleteतनक तनक सी दूध द़तुलिया दैखौ नैन सफल करौ आई
Please sir ....answer btaya is me kon sa ras proyog kiya gya h
Deleteवात्सल्य रस
Deleteदुबे जी, रस के उदाहरण मे क्या हम काव्य की जगह एक सरल वाक्य लिख सकते है????
ReplyDeleteदुबे जी, रस के उदाहरण मे क्या हम काव्य की जगह एक सरल वाक्य लिख सकते है????
ReplyDeleteराजकुमार जी !
Deleteअंग्रेजी में प्राय: लोग ऐसा लिखा करते हैं... शायद काव्य पंक्तियों का अभाव रहता हो।
हमारी हिन्दी समृद्ध है। अत: जब बात रस के उदाहरण की हो; तो हमें काव्य-पंक्तियों को ही लिखना चाहिए। इसका मतलब यह कत्तई नहीं कि गद्य में रस ही नहीं होता। होता है, पर... रस का स्वाद बात पूरी सुनने के बाद ही मिलता है। एक सरल वाक्य में पूरी बात कहना ज़रा मुश्किल होता है। अत: इससे बचना चाहिए। काव्य-पंक्तियाँ इस दृष्टि से सक्षम होती हैं, इसलिए मैं भी इनका ही पक्षधर हूँ।
और सच जानिए ! परंपरा से चली आ रही मानसिकता यही है कि काव्य का ही प्रयोग करना चाहिए। परम्परा टूटने पर लोग चिल्लाते हैं। यदि आप चीख सुनने को तैयार हैं तो फिर सक्षम सरल वाक्य लिख सकते हैं। हमारी शुभकामनाएँ.. :-)
Kya har ras ke one line example h? Mujhe exam ke liye chahiye..
ReplyDeleteBAKWAS
ReplyDeleteexactly..the students are right ..without examples this is incomplete..just post them..clarity can be gained only with examples
ReplyDeleteLol
ReplyDeleteSaanth Ras ke udharan dijiye plz
ReplyDeleteIt was good but it lack definitions with examples.. Otherwise it will be useless
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