9. शांत रस
जहाँ सांसारिक इच्छाओं के शमन का आनंद हो अथवा सांसारिकता के प्रति वैराग्य भाव जगता हो, वहाँ शांत रस होता है।
स्थायी - वैराग्य ।
संचारी - हर्ष,ग्लानि,धृति,क्षमा,विबोध,दैन्य ।
आलंबन - सांसारिक क्षण-भंगुरता , ईश्वरीय ज्ञान, परोपकार, ईश्वर पूजा आदि ।
आश्रय - जिसके मन में वैराग्य उत्पन्न हो ।
उद्दीपन - संत वचन, प्रवचन, संत - समागम, तीर्थाटन, सत्संग ।
अनुभाव - आँखें मूँदना, अश्रु बहाना, ईश्वर भजना, ध्यानस्थ होना आदि ।
जैसे -
जीवन जहाँ खत्म हो जाता !
उठते-गिरते,
जीवन-पथ पर
चलते-चलते,
पथिक पहुँच कर,
इस जीवन के चौराहे पर,
क्षणभर रुक कर,
सूनी दृष्टि डाल सम्मुख जब पीछे अपने नयन घुमाता !
जीवन वहाँ ख़त्म हो जाता !
विशेष -
* इसमें पथिक का जीवन आलंबन है।
* कवि का हृदय आश्रय है ।
* जीवन-पथ , चौराहा, सूनी दृष्टि आदि उद्दीपन है।
* चलते-चलते रूकना और सूनी नज़रों से पीछे मुड़-मुड़ देखना अनुभाव है।
* जीवन की क्षण भंगुरता का ज्ञान, दृष्टि में सूनापन , मृत्यु-बोध आदि संचारी भाव है।
अन्य रसों की बात...क्रमश: अगले पोस्ट में..
विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’
I liked the analysis, congratulations...
ReplyDeletegood
ReplyDeleteI like it this is very useful i got a nice mark in grammar thanks udathi😊😊😊👌👌
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ReplyDeleteCan you provide 2 lines example?
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