1. शृंगार रस
जब नायक और नायिका में एक आश्रय तथा दूसरा आलम्बन हो अथवा प्राकृतिक उपादान , कोई कृति अथवा किसी का गायन-वादन आलंबन हो और दर्शक, पाठक या श्रोता आश्रय हो और वे विभाव, सम्बन्धित अनुभाव और संचारीभाव से परिपुष्ट हों , वहाँ रति नामक स्थायीभाव सक्रिय हो जाता है, रति के सक्रिय होने से शृंगार रस की उत्पत्ति होती है।
शृंगार रस के दो भेद होते हैं -
(क) संयोग शृंगार (ख) वियोग शृंगार ।
(क) संयोग शृंगार - जहाँ आलंबन और आश्रय के बीच परस्पर मेल-मिलाप और प्रेमपूर्ण वातावरण हो , वहाँ संयोग शृंगार होता है ।
स्थायी भाव - रति
संचारी भाव - लज्जा , जिज्ञासा ,उत्सुकता आदि ।
आलंबन - नायक , नायिका , गायन - वादन , कृति अथवा प्राकृतिक
उपादान ।
आश्रय - नायक , नायिका , श्रोता या दर्शक ।
उद्दीपन - व्याप्त सौन्दर्य आदि ।
अनुभाव - नायक , नायिका , श्रोता या दर्शक का मुग्ध होना , पुलकित
होना आदि।
जैसे -
ये रेशमी ज़ुल्फ़ें, ये शरबती आँखें
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
ये रेशमी ज़ुल्फ़ें, ये शरबती आँखें
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
जो ये आँखे शरम से, झुक जाएंगी
सारी बातें यहीं बस, रुक जाएंगी
जो ये आँखे शरम से, झुक जाएंगी
सारी बातें यहीं बस, रुक जाएंगी
चुप रहना ये अफ़साना,
कोई इनको ना बतलाना कि
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
ज़ुल्फ़ें मग़रूर इतनी, हो जाएंगी
दिल तो तड़पाएंगी, जी को तरसाएंगी
ज़ुल्फ़ें मग़रूर इतनी, हो जाएंगी
दिल तो तड़पाएंगी, जी को तरसाएंगी
ये कर देंगी दीवाना,
कोई इनको ना बतलाना कि
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
विशेष-
* इसमें नायिका आलंबन है।
* नायक आश्रय हैं।
* नायिका की आँखें और ज़ुल्फ़ें आदि उद्दीपन है,
* आँखों का शरबती होना , झुकना ,ज़ुल्फ़ों का मग़रूर होना और दिल को तड़पाना आदि अनुभाव है।
* आँख झुकते ही बातों क रुक जाना , आँखों के अफ़साने को छुपाना , ज़ुल्फ़ों पर दीवाना होना आदि संचारी भाव है।
अन्य उदाहरण :-
है कनक सा रंग उसका , सुर्ख फूलों से अधर,
देख लूँ सूरत प्रिये की , भूल जाऊँ मैं डगर ।
नैन में तस्वीर उसकी , है समाई हर घड़ी ,
प्रीत का ले दीप जैसे,कामिनी सम्मुख खड़ी।
(ख) वियोग शृंगार - जहाँ आलंबन और आश्रय के बीच परस्पर दूरी ,विरह अथवा तनावपूर्ण वातावरण हो , वहाँ वियोग शृंगार होता है ।
स्थायी भाव - रति
संचारी भाव - उदासी , दुख, निराशा आदि ।
आलंबन - विरहाकुल नायक-नायिका , उदास गायन-वादन , दुखड़ी कृति अथवा विनष्ट प्राकृतिक उपादान ।
आश्रय - विरहाकुल नायक-नायिका ,उदास श्रोता या दुखी दर्शक ।
उद्दीपन - व्याप्त दुखदायी कारण और वातावरण आदि ।
अनुभाव - नायक , नायिका , श्रोता या दर्शक का हतास , उदास और निरास होना आदि।
जैसे -
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
फिर वो झड़ी है
वही आग फिर सीने में जल पड़ी है
लगी आज सावन की ...
कुछ ऐसे ही दिन थे वो जब हम मिले थे
चमन में नहीं फूल दिल में खिले थे
वही तो है मौसम मगर रुत नहीं वो
मेरे साथ बरसात भी रो पड़ी है
लगी आज सावन की ...
कोई काश दिल पे बस हाथ रख दे
मेरे दिल के टुकड़ों को एक साथ रख दे
मगर यह हैं ख्वाबों ख्यालों की बातें
कभी टूट कर चीज़ कोई जुड़ी है
लगी आज सावन की ..
विशेष-
* इसमें नायिका आलंबन है।
* विरहाकुल नायक आश्रय हैं।
* सावन की झड़ी , विरह , नायिका की याद आदि उद्दीपन है,
* बीते दिनों को याद करना , मौसम को देख दुखी होना , रोना , टूटे दिल के न जुड़ पाने का अफ़सोस करना और निरास हताश तथा उदास आदि होना अनुभाव है।
* उदासी , दुख और निराशा आदि संचारी भाव है।
अन्य उदाहरण :-
टूट गया है दर्पण मेरा ,
कैसे देखूँ रूप - अपार ।
छवि के भी हो जाते टुकडे ,
ऐसी निर्दय पडी दरार ।
अन्य रसों की बात...क्रमश: अगले पोस्ट में..
विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’
nice,helpful but add atleast 5 examples as per 10 standard and add meaningful examples
ReplyDeletei am in favour
DeleteDude I agree with uh but if we r consulting any grammer book for examples we have to learn pure braj language which is again a difficult task for a student like me who study a day before an exam
DeleteSabash bhaai aese hi helpfull mater bheja karo
DeleteNahin to aajkal log pata nhi kaise asleel video bhejte hai aapko bhi bheju kya
thank u very much
ReplyDeleteसच में सागर ज्ञान का, लेकर आए आप |
ReplyDeleteधन्य मंथन आपका, दिव्य है आलाप ||
why are u cutting neck without even a blade.?????????(blunt knife)
DeleteSir it is too much helpful for me but the problem is that, in exams we are getting it in pure hindi nd sanskrit.
ReplyDeleteyaaaaa.........
DeleteGOOD SITE KEEP IT UP SUPERBBB IMPRESSIVE WHAT NOT TO TELL TOO MUCH HELPFUL EXAMPLES ARE NOT IN PURE HINDI BUT THEY HELP US TO GET CLEAR CUT IDEA ..........GREATTTTTTTTTTTTTTT
ReplyDeleteDHAENBAAD JAE KOSAL
ReplyDeleterag h ki ,roop h ki
ReplyDeleteras h ki,jas h ki
tan h ki,man h ki
pran h ki, pyari h....
आपने अपना नाम नहीं लिखा ..
Deleteअत: संबोधन में क्या लिखें समझ नहीं आ रहा..
खैर मेरे अनुसार यहाँ .... ‘अद्भुत रस’ माना जाएगा।
upperyukt me kon sa ras h sir...
ReplyDelete‘अद्भुत रस’
Deleteमको लगा संतरे का रस है
Delete������
mera naam sandeep h sir.....isme sringar ras kyo nhi h sir or adhbhut ras kyo h...plz reply sir..
ReplyDeleteसंदीप जी !
Deleteरुपसौन्दर्य अथवा रुपासौन्दर्य ही शृंगार की विशेष बात होती है... संयोग क्षण में रुपसौन्दर्य और वियोग क्षण में रुपासौन्दर्य की चर्चा प्राय: हुआ करती है। शृंगारिकता किसी भी रुप में हो सकती है.. दैहिक,दैविक,भौतिक,आध्यात्मिक अथवा प्राकृतिक। परन्तु; शृंगार की बात जब होगी तब संयोग और वियोग का ही परिप्रेक्ष्य होगा।
यहाँ आपके उदाहरण में रुप-सौन्दर्य की बात अवश्य हुई है, पर.. यहाँ का रुप-सौन्दर्य आश्चर्य को बढ़ाने वाला और विचित्रताओं से भरा हुआ है .. अत: यहाँ अद्भुत रस ही होगा।
अद्भुत रस इसलिए क्योंकि जहाँ सुनी अथवा अनसुनी वस्तु/ व्यक्ति / स्थान के विचित्र एवं आश्चर्यजनक रूप को देखकर विस्मय हो, वहाँ अद्भुत रस होता है।
आशा है , आपकी शंका का समाधान कर सका हूँ... तथापि प्रतिक्रिया अपेक्षित है।
सधन्यवाद।
Dhanyawad...Dubey sir g...
ReplyDeletegood site
ReplyDeletegood site
ReplyDeletedubey sir plz give me all about ras
ReplyDeleteYe film ke examples chalege
ReplyDeleteवैसे यदि सचमुच रस के ज्ञान की ... मात्र परीक्षा ही लेनी हो..
Deleteतो इसको लिखने में कोई बुराई नहीं.. यह उदाहरण लिखा जा सकता है।
परन्तु.. परम्परा से हमारी या शिक्षकों की मानसिकता उदाहरण के मामले में कुछ अलग-सी रही है । किसी कविता की पंक्तियाँ ही मान्य रही हैं।
अत: परंपराओं का निर्वहन आप भी करें.. इसे न लिखें। ये उदाहरण केवल विश्लेषण के लिए हैं...
sir can i write this in my exams
ReplyDeleteनहीं....
Deleteये उदाहरण केवल विश्लेषण के लिए हैं...
बात समझ में आ जाय .. मात्र इसके लिए..।
परीक्षा में लिखने के लिए उदाहरण तो अन्य कोई भी शृंगारिक रचना हो सकती है।
जैसे अन्य उदाहरण में दिया हुआ है।
We can't give such examples in exam
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