किसी गद्यांश के मुख्य भावों को समझकर उसे संक्षेप में लिखना ही सार लेखन या संक्षेपण कहलाता है । इसमें गद्यांश के मूल बातों या भावों को इस तरह संक्षिप्त किया जाता है कि वह मूल गद्यांश का एक तिहाई हो जाय और कोई भी मुख्य बात या भाव छूटने न पाए। सार लेखन या संक्षेपण के लिए सतत् अभ्यास की ज़रूरत होती है।अभ्यास द्वारा इसके लेखन में महारत हासिल की जा सकती है
संक्षेपण हेतु ध्यान योग्य बातें --
१ - मूल संदर्भ या अवतरण के शब्दों की गिनती करके लिख लेना चाहिए।
२ - मूल संदर्भ या अवतरण को २-३ बार ध्यान से पढ़कर उसके मुख्य बातों
को चुनकर अलग लिख लेना चाहिए।
३ - मुख्य बातों से संबंधित सहायक बातों को भी अलग करना चाहिए।
४ - मुख्य और सहायक बातों के आधार पर सबसे पहले सार या संक्षेपण का
शीर्षक लिखना चाहिए ।
५ - मुख्य बातों पर आधारित ३ या ४ अति लघूत्तरीय प्रश्न बनाकर उन्हें
अपने हिसाब से क्रम बनाकर लिखना चाहिए।
६ - अब उन प्रश्नों के उत्तर क्रमश: लिखकर उन्हें आपस में जोड़ देना
चाहिए। यही आपका सार लेखन या संक्षेपण कहलाएगा।
७ - जुड़े अंश के शब्दों की गिनती करनी चाहिए। इनकी संख्या मूल सन्दर्भ
या अवतरण का एक तिहाई अर्थात् (१०० x ३ = ३३) होना चाहिए।
संक्षेपित अंश के नीचे शब्दों संख्या भी लिख देना चाहिए।
८ - ध्यान रहे यह कोई गणित नहीं है। इसमें एक-दो शब्द कम या ज्यादा हो
सकते हैं। परन्तु अधिक अन्तर होने पर अपने द्वारा लिखे एक या दो
प्रश्नों के उत्तर को पुन: कम या ज्यादा शब्दों में लिखना चाहिए।
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॥ इति - शुभम् ॥
सार लेखन या संक्षेपण के उदाहरण क्रमश: आगे ...
विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’
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good
ReplyDeleteappke vajew se 10 mea 9 no melae
ReplyDeleteappke vajew se 10 mea 9 no melae
ReplyDeletevery good explaination
ReplyDeleteHelpful...
ReplyDeleteIts Really helpful site
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