बहुत लोग समझा करते हैं कि शिक्षा केवल इसलिए प्राप्त करना आवश्यक हैजिससे हमें रूपये की प्राप्ति हो । आजकल इस विचार के लोगों की संख्या भारत में बहुत अधिक है। ऐसे लोग शिक्षा के वास्तविक आनन्द से सर्वथा वंचित रहते हैं।यह हम भी मानते हैं कि रूपया कमाना भी एक आवश्यक कार्य है । यह कार्य भी शिक्षा से ही होता है, किन्तु शिक्षा का अन्तिम ध्येय इसे ही बना लेना बड़ी भारी भूल है। शिक्षा प्राप्त कर धनोपार्जन अवश्य करना चाहिए, किन्तु शिक्षा के परिणामस्वरूप स्वयं आनन्द करते हुए दूसरों की सुख - समृद्धि को भी बढ़ाना चाहिए ।
(मूल शब्द संख्या - ८५ )
शीर्षक - शिक्षा - प्राप्ति का उद्देश्य
संक्षेपण - बहुत
से लोग शिक्षा - प्राप्ति का लक्ष्य केवल धनोपार्जन मानते हैं, पर
वास्तविक बात ऐसी नहीं है। धनोपार्जन के साथ ही स्वयं आनंद-लाभ करते हुए
दूसरों की सुख - समृद्धि को बढ़ाना ही शिक्षा-प्राप्ति का वास्तविक लक्ष्य
है।
( संक्षेपित शब्द - २९)
( संक्षेपित शब्द - २९)
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॥ इति - शुभम् ॥
सार लेखन या संक्षेपण के अन्य उदाहरण क्रमश: आगे ...
विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’
It is very good...are u a hindi scholar
ReplyDeletehey Binit you cannot judge or comment anyone like this, u never know what one can actually do with his desire
Deletesorry, if you found my words hard.
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ReplyDeleteBetter than other websites
ReplyDeletebad bad bad hopeless
ReplyDelete�������� not good!!!
ReplyDeletethanks
ReplyDeletei understood the meaning of saaar lekhan
Thnx .....
ReplyDeleteIt's very useful for me.
Thnx ...once again for this...