Thursday 2 October 2014

CBSE CLASS 10 HINDI GRAMMAR BHAKTI RAS (भक्ति रस)

 11. क्ति


जहाँ ईश्वर के प्रति श्रद्धा और प्रेम का भाव हो,वहाँ भक्ति रस होता है।


स्थायी -  ईश्वर प्रेम ।

संचारी - विवोध, चिंता, संत्रास, धृति, दैन्य, अलसता

आलंबन - ईश्वर कृपा, दया, महिमा

आश्रय -  भक्त ।

उद्दीपन - मंदिर , मूर्ति आदि ।

अनुभाव - ध्यान लगाना, माला जपना, आँखें मूँदना, कीर्तन करना, रोना, सिर झुकाना आदि ।

जैसे -


 
मेरो मन अनत कहां सुख पावै।
 

जैसे उड़ि जहाज कौ पंछी पुनि जहाज पै आवै॥
 

कमलनैन कौ छांड़ि महातम और देव को ध्यावै।
 

परमगंग कों छांड़ि पियासो दुर्मति कूप खनावै॥
 

जिन मधुकर अंबुज-रस चाख्यौ, क्यों करील-फल खावै।
 

सूरदास, प्रभु कामधेनु तजि छेरी कौन दुहावै॥

 




विशेष -

* इसमें श्रीकृष्ण की भक्ति आलंबन है।

* कवि सूरदास का हृदय आश्रय है ।

* श्रीकृष्ण का रूप-सौन्दर्य , उनकी उदारता , भक्त-वत्सलता आदि उद्दीपन है।

* श्रीकृष्ण की भक्ति , उनके प्रति गहन लगाव , किसी और की भक्ति न करना, श्रीकृष्ण को सर्वश्रेष्ठ बताना , किसी और के शरणागत न होना तथा कृष्ण के समक्ष पूर्ण-समर्पण करना अनुभाव है।

* धैर्यपूर्वक श्रीकृष्ण की भक्ति , श्रीकृष्ण की दिव्यता का बोध आदि संचारी भाव है।




 रसों पर विशेष बात... आगामी दिनों में..
  विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

6 comments:

  1. सेवा और संभार की सुंदर पकड़ी राह |
    आभार हृदय से आपका, वाह ! दुबेजी वाह !!

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  3. Sir Kya yeh mero man anat kaha Wala e.g. shant ras ka bhi e.g. ho Sakta hai kya kyuki Maine ek grammer ki book me ise shant ras Ke e.g. me Dekha tha

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    1. Bhakti ras shaant ras ka hi ek part h toh dono ho sakte hein.

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  4. यदि आप शांत रस में इसे ही लिखना चाहते हैं तो केवल सबसे नीचे की दो पंक्तियाँ आपको लिख देना चाहिए।

    जिन मधुकर अंबुज-रस चाख्यौ,क्यों करील-फल खावै।
    सूरदास प्रभु कामधेनु तजि , छेरी कौन दुहावै॥

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  5. It is also example of bhakti ras
    चरण कमल बनदो हरीराई
    जाकी कृपा पंगु गिरि लंंघै अंधे को सब कुछ दरसाई

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