Thursday 16 October 2014

CBSE HINDI GRAMMAR NOUN - HINDI VYAKARAN SANGYA (सी.बी.एस.ई हिन्दी व्याकरण संज्ञा)

संज्ञा

संज्ञा का शाब्दिक अर्थ है - नाम । अर्थात् नाम को संज्ञा कहते हैं। दूसरे शब्दों में; किसी व्यक्ति  ,वस्तु , स्थान एवम् भाव के नाम को संज्ञा कहा कहते हैं।
 जैसे -

संज्ञा के पाँच भेद माने जाते हैं :-
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
2. जातिवाचक संज्ञा
3. भाववाचक संज्ञा
4. समूहवाचक संज्ञा
5. द्रव्यवाचक संज्ञा

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा :- जिस संज्ञा शब्द से किसी एक विशेष व्यक्ति , वस्तु या स्थान आदि का बोध होता है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे :-
 

2. जातिवाचक संज्ञा :- जिस शब्द से एक ही जाति के अनेक प्राणियों , वस्तुओं अथवा स्थनों का बोध होता है , उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे :- 



3. भाववाचक संज्ञा :- जिस संज्ञा शब्द से किसी व्यक्ति , वस्तु या स्थान आदि के गुण , दोष , दशा , स्वभाव आदि का बोध होता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे :-
 

4. समूहवाचक संज्ञा :- जिस संज्ञा शब्द से किसी समूह या समुदाय का बोध होता है , उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे :-


5. द्रव्यवाचक संज्ञा :- जिस संज्ञा शब्द से किसी द्रव्य , पदार्थ या धातु आदि का बोध होता है , उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे :-



* संज्ञा - पदों के विभिन्न प्रयोग :-
 

(क) - व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रुप में प्रयोग :-
 कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के रुप में होता है।
जैसे :-

 
(अ)  - समाज में दुर्योधनों ने आतंक मचा रखा है। 
 


(आ) - हर राजनीतिक दल में जयचंदों की भरमार है ।
 



(इ) -  देश में श्रवण कुमारों की कमी नहीं है।

 



(ख) भाववाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रुप में प्रयोग :-
 कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के रुप में होता है।
जैसे :- 

(अ) - मेघा को भारतीय पहनावे बेहद हैं। 
 

(आ) - स्नेहा दिखावे करने में ही व्यस्त रहती है। 


(इ) वर्षा के कारण आज कई उड़ाने रद्द हो गईं। 





(ग) - जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रुप में प्रयोग :- 

कभी - कभी जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञा के रुप में होता है।
जैसे :-

(अ)  - गाँधी जी ने देश के लिए कई बार आंदोलन किए। 


 
(आ) - पंडित जी भारत के प्रधानमंत्री हुए।  


(इ)- शास्त्री जी दृढ़ - संकल्प वाले व्यक्ति थे। 




*भाव वाचक संज्ञाओं की रचना :- 

(1) जातिवाचक संज्ञाओं से :-
 
देव     - देवत्व                       नेता   - नेतृत्व
दानव    - दानवता                     मनुष्य - मनुष्यता
बच्चा    - बचपन                      पशु   - पशुता
आदमी   - आदमीयत                    जंगल  - जंगलीपन
नेता     - नेतृत्व                      माता  - मातृत्व
चिकित्सक - चिकित्सा                    पुरूष  - पौरूष
पंडित     - पांडित्य                   व्यापारी - व्यापार 
राष्ट्र      - राष्ट्रीयता                   भाई - भाईचारा



(2) - सर्वनामों से :-
 

अहं   - अहंकार                         मम - ममत्व
अपना - अपनापन                        निज - निजता
खुद   - खुदी                            स्व - स्वत्व


 

(3) - विशेषणों से :-
 

एक   -  एकता    अच्छा  -  अच्छाई      सुन्दर   - सुन्दरता         
शान्त - शान्ति     हिंसक  -  हिंसकता      बुद्धिमान - बुद्धिमानी
मीठा  - मिठास     हरा   -  हरीतिमा      बहुत   - बहुतायत
कुशल - कौशल     अरूण  -  अरूणिमा      उपयोगी - उपयोगिता  
भला  - भलाई      टेढ़ा   -  टेढ़ापन       जाग्रत   - जागरण   
वीर   - वीरता      स्वस्थ -  स्वास्थ्य      आलसी  - आलस्य 
गंदा  - गंदग़ी       मूर्ख  -  मूर्खता        कृपण   - कृपणता


(4) क्रियाओं से :-


हँसना  -  हँसी        रोना  - रूलाई     बकबकाना - बकबकाहट
चलना  - चाल        खोजना - खोज     मुस्कुराना  - मुस्कुराहट
पूजना  - पूजा         हँसना - हँसी      उकताना  - उकताहट 
जीतना - जीत         चुनना - चुनाव     उलझना   - उलझाव 
हँसना  - हँसी         उड़ना - उड़ान      गिरना   - गिरावट


(5) अव्ययों से :-

 
धिक्     - धिक्कार   धन्य  - धन्यता     तेज़  - तेज़ी
वाह-वाह  - वाहवाही   भीतर  - भीतरी    प्रतिकूल - प्रतिकूलता  
हा - हा  - हाहाकार   शाबाश - शाबाशी    अपेक्षा  - अपेक्षित

  

॥  इति शुभम्  ॥
विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

3 comments:

  1. thank u very much.very useful.got 95% in test bcoz of u thank u very much

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  2. Sansar ki Sangha kya hogi sir

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  3. thanks sir very usefull .excellent

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