Thursday 25 September 2014

CBSE CLASS 10 HINDI GRAMMAR VIBHATS RAS (वीभत्स रस)

 7. वीत्
जहाँ किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान या दृश्य को देखकर घृणा (जुगुत्सा) मन में उत्पन्न हो, वहाँ वीभत्स रस होता हो।

स्थायी -  जुगुत्सा (घृणा)


आलंबन - रक्त, क्षत-विक्षत शव, बिजबिजाती नालियाँ
आदि। 

आश्रय -  फैली हुई गंदगी और सड़ांध, घृणा उत्पन्न करने वाले  दृश्य आदि जिसमें घृणा का भाव जगे।
 
उद्दीपन - जख्म रिसना, लाश सड़ना, अंग गलना, नोंचना, घसीटना, फड़फड़ाना, छटपटाना

 
अनुभाव - धिक्कारना, थूकना, वमन करना, भौं सिकोड़ना, नाक बंद करना, मुँह घुमाना, आँख मूँदना आदि।

 
संचारी -
मोह, ग्लानि, शोक, विषाद, आवेग, जड़ता, उन्माद


जैसे-




सुभट-सरीर नीर-चारी भारी-भारी तहाँ, 
सूरनि  उछाहु , कूर  कादर डरत हैं ।
फेकरि-फेकरि फेरु फारि-फारि पेट खात,
काक - कंक बालक कोलाहलु करत हैं।


 


 विशेष -

 
* इसमें वीरों के क्षत-विक्षत शव आलंबन है।


* कवि का हृदय आश्रय है ।


* शव की दुरावस्था, घिसटना ,पेट फटना, आदि उद्दीपन है। 


* उछाह , कूर कादर का डरना, फ़ेकरना और काक तथा कंक के बालकों का कोलाहल करना अनुभाव है।


* फेकर - फेकर कर पेट फाड़ना और जीव-जन्तुओं में शव को हथियाने की मारामारी, उनका कलह - कोलाहल आदि संचारी भाव है।



अन्य रसों की बात...क्रमश: अगले पोस्ट में..
 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’





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