Saturday 21 February 2015

CBSE NCERT GRAMMARE - SAAR LEKHAN (PRECIS WRITING)


मूल अवतरण - ४
यह सही है कि इन दिनों कुछ ऐसा वातावरण बन गया है कि ईमानदारी से मेहनत करके जीविका चलानेवाले निरीह और भोले - भाले श्रमजीवी पीस रहे हैं और फ़रेब का रोज़गार करनेवाले फल - फूल रहे हैं। ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है।ऐसी स्थिति में जीवन के महान् मूल्यों के बारे में लोगों की आस्था हिलने लगी है। क्या यही भारतवर्ष है जिसका सपना तिलक और गाँधी ने देखा था ? विवेकानन्द और रामतीर्थ की आध्यात्मिक ऊँचाईवाला भारतवर्ष कहाँ है?       (मूल शब्द संख्या - ६६ )


शीर्षक - पहले के तुल्य : सिसकते जीवन मूल्य
संक्षेपण - आज ईमानदार और परिश्रमी भूखो मर रहे हैं और फ़रेबी मज़े में हैं। तिलक ,गाँधी , विवेकानन्द और रामतीर्थ की कल्पना वाला भारत नहीं है। ( संक्षेपित शब्द - २२)


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॥ इति - शुभम् ॥

 सार लेखन या संक्षेपण के उदाहरण क्रमश: आगे ...

विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’
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