प्रश्न १ - लेखक की समझ में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?
उत्तर - ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ दो ऐसे शब्द हैं जिनका प्रयोग सबसे अधिक और मनमाने ढंग से होता है, किन्तु; समझ में सबसे कम आते हैं।इन शब्दों के साथ ‘भौतिक’ , ‘आधुनिक’ या ‘अध्यात्मिक’ जैसे विशेषण जुड़ जाने से जो थोड़ी-बहुत समझ बनी रहती है,वह भी गड-मड या स्वाहा हो जाती है।अब तक लोगों को पता नहीं कि ये एक ही शब्द हैं अथवा दो अलग-अलग। शायद इसी अस्पष्टता के कारण अब तक ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ नहीं बन पाई है।
प्रश्न २ - आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?
उत्तर - आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज है क्योंकि इसने मनुष्य को खाना पकाना सिखाया।अंधेरे को प्रकाशित कराया, सर्दी में भी गर्मी का अहसास कराया और मानव जीवन को अनेक भाँति से सुख पहुँचाया।आज इसी की बदौलत घर-घर में चूल्हा जलता है।आग न हो तो पूरी दुनिया संकटापन्न हो जाए।इस खोज के पीछे संभवत: पेट की आग को शान्त करने की प्रेरणा ही मुख्य रही होगी।
प्रश्न ३-वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है?
उत्तर - ‘संस्कृत-व्यक्ति’ वे हैं जो अपनी बुद्धि और विवेक के बल पर संसार को नवीन तथ्यों से अवगत कराते हैं। हमारी सभ्यता का एक बड़ा हिस्सा इन्हीं संस्कृत व्यक्तियों की देन है। परन्तु; वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति वह है जिसका पेट भरा हो और तन ढँका हो अर्थात् सब कुछ उपलब्ध हो ,फिर भी वह निठल्ला न बैठकर कुछ नया खोज या आविष्कार करने में लगा हो।
प्रश्न ४ -न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से दिए गए हैं?न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवम् ज्ञान की कई बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते ,क्यों?
उत्तर - न्यूटन ने अपनी बुद्धि और विवेक के बल पर गुरुत्वकर्षण के नवीन तथ्य से हमें अवगत कराया, इसलिए न्यूटन संस्कृत व्यक्ति थे। न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवम् ज्ञान की कई बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते क्योंकि उन्होंने अपने बुद्धि और विवेक के बल पर किसी नवीन तथ्य का दर्शन या आविष्कार नहीं किया। उन्होंने तो बस.. न्यूटन के नियम की बारीकियों को समझा भर है।
प्रश्न ५ -किन महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सूई - धागे का आविष्कार हुआ होगा ?
उत्तर - आदि मानव जंगलों और गुफ़ाओं में रहता था। उसे नंगे बदन सर्दी, गर्मी, बरसात और कीड़े-मकोड़ों का सामना करना पड़ता था। इन्हीं परेशानियों से बचने के लिए अर्थात् तन ढँकने के लिए ही सूई धागे का आविष्कार हुआ होगा।
प्रश्न ६ - “मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख करें जब--
(क) - संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गई।
ऊत्तर - “मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” फिर भी न जाने कितनी बार इसे विभाजित करने की नाकाम कोशिश की जा चुकी है। धर्म , मान्यता , पर्व , त्योहार आदि के नाम पर हिन्दू संस्कृति और मुसलमान संस्कृति को विभाजित करने की कोशिश की गई। पुनश्च ; नौकरी , आरक्षण , जनसंख्या और राज्य के नाम पर भी मानव संस्कृति को विभाजित करने की कोशिशें हुईं।
(ख) - जब मानव संस्कृति ने एक होने का प्रमाण दिया।
ऊत्तर - मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” इस बात का प्रमाण न जाने कितनी बार हमारी आँखों के सामने आ चुका है। जब अमेरिका ने जापान के नागासाकी और हिरोशिमा शहर पर अणु बम गिराया तब पूरी दुनिया ने उसकी भर्त्स्ना की। जापान का दर्द पुरी दुनिया के चेहरे पर दिखा।सुनामी जैसी भयानक आपदा से त्रस्त मानवता जब कराह उठी तब लोग सारे भेद-भावों को भुलाकर संकटापन्न लोगों की सहायता के लिए उठ खड़े हुए। इन बातों से पता चलता है कि मानव संस्कृति एक है, इसे विभाजित नहीं किया जा सकता।
प्रश्न ७ - आशय स्पष्ट करें --
मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है , हम उसे संस्कृति कहें या असंस्कृति ?
ऊत्तर - प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि मानव की जो योग्यता आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है , उसे असंस्कृति कहा जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि संस्कृति का संबंध तो केवल और केवल कल्याण की भावना से है।
प्रश्न ८ - लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं?
ऊत्तर - मेरे विचार से संस्कृति वह शक्ति है जिसका संबन्ध हमारी सोच से है, जबकि सभ्यता हमारी सोच का परिणाम है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि संस्कृति परिष्करण की वह शक्ति है जिसका कोई रूप आकार नहीं होता,जबकि हमारी आँखों के सामने दिखनेवाली तमाम वस्तुएँ सभ्यता कहलाती हैँ।
उत्तर - ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ दो ऐसे शब्द हैं जिनका प्रयोग सबसे अधिक और मनमाने ढंग से होता है, किन्तु; समझ में सबसे कम आते हैं।इन शब्दों के साथ ‘भौतिक’ , ‘आधुनिक’ या ‘अध्यात्मिक’ जैसे विशेषण जुड़ जाने से जो थोड़ी-बहुत समझ बनी रहती है,वह भी गड-मड या स्वाहा हो जाती है।अब तक लोगों को पता नहीं कि ये एक ही शब्द हैं अथवा दो अलग-अलग। शायद इसी अस्पष्टता के कारण अब तक ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ नहीं बन पाई है।
प्रश्न २ - आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?
उत्तर - आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज है क्योंकि इसने मनुष्य को खाना पकाना सिखाया।अंधेरे को प्रकाशित कराया, सर्दी में भी गर्मी का अहसास कराया और मानव जीवन को अनेक भाँति से सुख पहुँचाया।आज इसी की बदौलत घर-घर में चूल्हा जलता है।आग न हो तो पूरी दुनिया संकटापन्न हो जाए।इस खोज के पीछे संभवत: पेट की आग को शान्त करने की प्रेरणा ही मुख्य रही होगी।
प्रश्न ३-वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है?
उत्तर - ‘संस्कृत-व्यक्ति’ वे हैं जो अपनी बुद्धि और विवेक के बल पर संसार को नवीन तथ्यों से अवगत कराते हैं। हमारी सभ्यता का एक बड़ा हिस्सा इन्हीं संस्कृत व्यक्तियों की देन है। परन्तु; वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति वह है जिसका पेट भरा हो और तन ढँका हो अर्थात् सब कुछ उपलब्ध हो ,फिर भी वह निठल्ला न बैठकर कुछ नया खोज या आविष्कार करने में लगा हो।
प्रश्न ४ -न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से दिए गए हैं?न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवम् ज्ञान की कई बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते ,क्यों?
उत्तर - न्यूटन ने अपनी बुद्धि और विवेक के बल पर गुरुत्वकर्षण के नवीन तथ्य से हमें अवगत कराया, इसलिए न्यूटन संस्कृत व्यक्ति थे। न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवम् ज्ञान की कई बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते क्योंकि उन्होंने अपने बुद्धि और विवेक के बल पर किसी नवीन तथ्य का दर्शन या आविष्कार नहीं किया। उन्होंने तो बस.. न्यूटन के नियम की बारीकियों को समझा भर है।
प्रश्न ५ -किन महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सूई - धागे का आविष्कार हुआ होगा ?
उत्तर - आदि मानव जंगलों और गुफ़ाओं में रहता था। उसे नंगे बदन सर्दी, गर्मी, बरसात और कीड़े-मकोड़ों का सामना करना पड़ता था। इन्हीं परेशानियों से बचने के लिए अर्थात् तन ढँकने के लिए ही सूई धागे का आविष्कार हुआ होगा।
प्रश्न ६ - “मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख करें जब--
(क) - संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गई।
ऊत्तर - “मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” फिर भी न जाने कितनी बार इसे विभाजित करने की नाकाम कोशिश की जा चुकी है। धर्म , मान्यता , पर्व , त्योहार आदि के नाम पर हिन्दू संस्कृति और मुसलमान संस्कृति को विभाजित करने की कोशिश की गई। पुनश्च ; नौकरी , आरक्षण , जनसंख्या और राज्य के नाम पर भी मानव संस्कृति को विभाजित करने की कोशिशें हुईं।
(ख) - जब मानव संस्कृति ने एक होने का प्रमाण दिया।
ऊत्तर - मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” इस बात का प्रमाण न जाने कितनी बार हमारी आँखों के सामने आ चुका है। जब अमेरिका ने जापान के नागासाकी और हिरोशिमा शहर पर अणु बम गिराया तब पूरी दुनिया ने उसकी भर्त्स्ना की। जापान का दर्द पुरी दुनिया के चेहरे पर दिखा।सुनामी जैसी भयानक आपदा से त्रस्त मानवता जब कराह उठी तब लोग सारे भेद-भावों को भुलाकर संकटापन्न लोगों की सहायता के लिए उठ खड़े हुए। इन बातों से पता चलता है कि मानव संस्कृति एक है, इसे विभाजित नहीं किया जा सकता।
प्रश्न ७ - आशय स्पष्ट करें --
मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है , हम उसे संस्कृति कहें या असंस्कृति ?
ऊत्तर - प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि मानव की जो योग्यता आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है , उसे असंस्कृति कहा जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि संस्कृति का संबंध तो केवल और केवल कल्याण की भावना से है।
प्रश्न ८ - लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं?
ऊत्तर - मेरे विचार से संस्कृति वह शक्ति है जिसका संबन्ध हमारी सोच से है, जबकि सभ्यता हमारी सोच का परिणाम है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि संस्कृति परिष्करण की वह शक्ति है जिसका कोई रूप आकार नहीं होता,जबकि हमारी आँखों के सामने दिखनेवाली तमाम वस्तुएँ सभ्यता कहलाती हैँ।
॥ इति - शुभम् ॥
विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’
mujhu ras ke bare me thik se samjha de,
ReplyDeleteudipan , sanchari bhaw kya hai?
Mujhe is chapter ka summary chaiye
ReplyDelete4 wrong he
ReplyDeleteGO TO HELL ALL OF YOU
ReplyDeleteTU NARAK ME JA
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