Wednesday 25 February 2015

CBSE CLASS 10TH HINDI - KRITIKA - MAIN KYON LIKHATA HUN BY AGYEYA - (मैं क्यों लिखता हूँ)

BIMLESH DUTTA DUBEY SWAPNADARSHY

मैं क्यों लिखता हूँ?
प्रश्न १ - लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष-अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है , क्यों ?
उत्तर - किसी घटना को देखकर कुछ जानना प्रत्यक्ष अनुभव है। लेखन में प्रत्यक्ष-अनुभव नहीं बल्कि अनुभूति मदद करती है। अनुभूति किसी घटना को बाहर से देखने पर नहीं अपितु स्वयं को उस घटना का भोक्ता बनाने से उत्पन्न होती है। इसके लिए आवश्यक है उस घटना को अपने अन्त:करण में समा लेना। जब अन्त:करण में घटना का दृश्य साकार होगा , तब अनुभूति जगेगी, और जब अनुभूति जगेगी तब उस घटना को अभिव्यक्त करने की व्याकुलता भी बढ़ेगी। जब तक यह व्याकुलता अन्दर न हो , तब तक कुछ भी लिख पाना संभव नहीं ।

प्रश्न २ - लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के बिस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया ?
उत्तर - लेखक हिरोशिमा की घटना कई बार किताबों और अख़बारों में पढ़ चुका था । बाद में वह हिरोशिमा भी गया और वह अस्पताल भी देखा , जहाँ रेडियम - पदार्थ के शिकार लोग वर्षों से कष्ट झेल रहे थे। इस प्रकार लेखक को अनुभव या प्रत्यक्ष अनुभव तो हुआ , पर अनुभूति नहीं हुई । हिरोशिमा की सड़क पर घूमते हुए उसकी नज़र अचानक एक ऐसे पत्थर पर टिक गई जिस पर एक मानव आकृति छपी हुई थी । दिमाग़ में अचानक एक बात कौंध गई। परमाणु  बिस्फोट के समय वह व्यक्ति उस पत्थर के पास खड़ा होगा । बिस्फोट के भभको में आदमी की छाया इस पत्थर पर तो पड़ी होगी और वह स्वयं भाप बनकर उड़ गया होगा । अचानक लेखक के अन्त:करण में परमाणु-बिस्फोट का दृश्य साकार हो गया । वह स्वयं को बिस्फोट का भोक्ता मानने लगा। इस प्रकार प्रत्यक्ष अनुभूति ने उसे बिस्फोट का भोक्ता बना दिया ।

प्रश्न ३ - ‘मैं क्यों लिखता हूँ?’ पाठ के आधार पर बताइए :--

(क) - लेखक को कौन - सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं ? 
उत्तर - लेखक यह जानने के लिए लिखता है कि आखिर वह लिखता क्यों है? लेखक लिखकर अपनी भीतरी विवशता को पहचानने की कोशिश करता है। वह लिखने के बाद ही उससे मुक्त हो पाता है । अर्थात् अपनी आंतरिक या भीतरी विवशता को पहचानने और उससे मुक्ति पाने के लिए ही लेखक लिखता है ।
कभी - कभी बाहरी दबावों जैसे संपादक , प्रकाशक आदि के कहने या आर्थिक लाभ के लिए भी उसे लिखना पड़ता है ,परन्तु ; ये सभी उसके लिखने के मूल स्रोत नहीं हैं ।

(ख) - किसी रचनाकार के प्रेरणा-स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए किस तरह उत्साहित कर सकते हैं ।
उत्तर - प्राय: हम देखते हैं कि लोग एक - दूसरे की देखा - देखी या अनुकरण करते हैं। यदि किसी रचनाकार की भीतरी विवशता को कोई दूसरा भी अपनी विवशता बना ले अर्थात् उसको भी अनुभूति हो जाए, तो वह भी कुछ रचने के लिए व्याकुल या उत्साहित हो सकता है । इस प्रकार कहा जा सकता है कि किसी रचनाकार के प्रेरणा-स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए उत्साहित कर सकते हैं ।

प्रश्न ४ - कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति / स्वयम् के अनुभव के साथ - साथ बाह्य - दबाव भी महत्वपूर्ण होता है । ये बाह्य - दबाव कौन - कौन से हो सकते हैं ?
उत्तर - इस प्रकार के बाह्य-दबाव निम्नलिखित हो सकते हैं :--
(अ)- प्रकाशकों के आग्रह का दबाव |
(ब)- संपादकों के आग्रह का दबाव |
(स)- इष्ट-मित्रों के आग्रह का दबाव |
(द)- यश प्राप्त करने का दबाव |
(इ)- अपनी पहचान बनाए रखने का दबाव |
(फ)- धन प्रप्त करने का दबाव |

प्रश्न ५ - क्या बाह्य-दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्र से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे ?
उत्तर - किसी व्यक्ति को किसी भी क्षेत्र में यदि एक बार प्रसिद्धि मिल जाती है, तो उसके ढेरों चाहनेवाले या प्रशंसक हो जाते हैं । चाहे वह कोई अभिनेता , गायक , संगीतकार या नर्तक हो अथवा नेता , नाट्यकर्मी , मूर्तिकार या कोई खिलाड़ी हो, उसे अपने प्रशंसकों , आयोजकों , आलोचकों , दर्शकों , श्रोताओं या खरीददारों की माँग या दबाव के कारण उन्हीं के अनुरूप प्रदर्शन या कार्य करना पड़ता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बाह्य-दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही नहीं ; अपितु अन्य क्षेत्र से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं ।

प्रश्न ६ - हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अन्त: व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है। यह आप कैसे कह सकते हैं ?
उत्तर - लेखक विज्ञान का विद्यार्थी था । अत: हिरोशिमा जाने से पहले ही किताबों और समाचार-पत्रों के माध्यम से वहाँ के सर्वनाश की पीड़ा को अनुभव किया था । परन्तु ; हिरोशिमा जाकर उसे प्रत्यक्ष-अनुभूति भी हुई । इस प्रकार वह हिरोशिमा पर कविता भी लिखने में समर्थ हुआ। अत: हम कह सकते हैं कि हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अन्त: व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है ।

प्रश्न ७ - हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरूपयोग है । आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ - कहाँ और किस तरह से हो रहा है ?
उत्तर - हिरोशिमा की घटना निश्चित रूप से विज्ञान का भयानकतम दुरूपयोग है । मेरी दृष्टि में आज लगभग हर क्षेत्र में विज्ञान का धड़ल्ले से दुरुपयोग हो रहा है । आज भयानकतम मारणास्त्रों की बाढ़ आना , साइबर - क्राइम का बढ़ना , प्रदूषण का जानलेवा स्तर तक पहुँचना , जगह - जगह आतंकवादी विस्फ़ोट , भ्रूण - परीक्षण एवम् गर्भपात तथा फ़सल-वृद्धि के लिए ज़हरीले रसायनों के ज़्यादा से ज़्यादा प्रयोग के अलावा और न जाने कितने ही क्षेत्र हैं जहाँ विज्ञान का दुरूपयोग बेरोक-टोक हो रहा है । हर क्षेत्र में मशीनों की बहुतायत ने आदमी को पंगु, निकम्मा और अपना ग़ुलाम बनाना शुरु कर दिया है । आज मानव ही नहीं पूरी दुनिया के अस्तित्व पर ख़तरा मंडरा रहा है । अत: आवश्यक है कि विज्ञान के दुरुपयोग पर अंकुश लगाया जाए ।

प्रश्न ८ - एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान के दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है?
उत्तर - विज्ञान के दुरुपयोग ने मानव ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के अस्तित्व को ख़तरे में डाल दिया है । एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से मैं प्रयास करूँगा कि मुझसे या मेरे लिए विज्ञान का दुरुपयोग न हो । मैं उन समस्त क्रिया - कलापों से स्वयम् को दूर ही रखूँगा , जिनमें विज्ञान का दुरुपयोग किया जाता है । इसके अलावा जिन लोगों तक मेरी पहुँच  है, उन्हें भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करूँगा । मैं विज्ञान के दुरुपयोग को रोकनेवाली संस्थाओं का समर्थन करूँगा । प्रकृति की सुरक्षा तथा संरक्षा में संलग्न संस्थाओं का सदस्य बनकर मानव एवम् प्रकृति में संतुलन कायम करने का निरन्तर प्रयास करूँगा ।

॥ इति - शुभम् ॥
विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

9 comments:

  1. Thanks !! It was very helpful for my exams !!

    ReplyDelete
  2. thanks
    answers are very helpful :-)

    ReplyDelete
  3. Thanks
    It was very helpful for my exam

    ReplyDelete
  4. Thank you sir, it helped me

    ReplyDelete
    Replies
    1. It helped me a lot.... I always prefer your answers.

      Delete
  5. it's not बिस्फोट in question 2 . it's विस्फोट

    ReplyDelete
  6. Best answer is found in this site only.

    ReplyDelete