Wednesday 23 July 2014

CBSE CLASS 9 HINDI SANVALE SAPANO KI YAD SALIM ALI (साँवले सपनों की याद सालिम अली)

साँवले सपनों की याद

प्रश्न १- किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया ?
उत्तर- सालिम अली जब बच्चे थे तब खेलते वक्त उनके एयर गन से एक गौरैया घायल हो गई। इस घटना ने उनके जीवन की दिशा को ही बदल दिया। पक्षियों के प्रति उनके मन में सहानुभूति जगी और परिणाम स्वरूप वे प्रसिद्ध पक्षी प्रेमी बन गए।

प्रश्न २- सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यायवरण से सम्बन्धित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई होंगी ?
उत्तर-
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के समक्ष सालिम अली पहुँचे होंगे और दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे पर्यायवरण की चर्चा के दरम्यान केरल की साइलेंट-वैली की बिगड़ती स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की होगी। वैली को धीरे-धीरे रेगिस्तान में बदलते बताया होगा, साथ ही उजाड़ होते दिखाकर जीव-जन्तुओं की प्राण-हानि और वैली की कुरूपता की चर्चा की होगी। जिसे सुनकर प्रधानमंत्री की आँखें नम हो गई होंगी।


प्रश्न ३ - लारेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि “मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लारेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है।” ?
उत्तर - लारेंस एक पक्षी प्रेमी थे। वे अपने छत पर बैठने वाली गौरैये से बहुत प्रेम करते थे। घण्टों वे और गौरैया एक - दूसरे के साथ खेलते। फ्रीडा लारेंस के पक्षी प्रेम को जानती थी। उनके इसी व्यक्तित्व को उद्घाटित करने के लिए फ्रीडा ने ऐसा कहा होगा ।

प्रश्न ४ -आशय लिखें  :--
(क)- “वो लारेंस की तरह नैसर्गिक ज़िन्दगी का प्रतिरूप बन गये थे।”
उत्तर - डी.एच. लारेंस अंग्रेज़ी साहित्य के प्रसिद्ध प्रकृति प्रेमी कवि थे। उनकी रचनाओं के मूल  में प्रकृति ही होती थी। ठीक उनकी ही तरह सालिम अली ने भी अपना जीवन प्रकृतिमय कर लिया था। सम्पूर्ण नैसर्गिकता उनके स्वभाव में सम्मिलित हो चुकी थी।

(ख) - कोई अपने जीवन की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा ।
उत्तर - सालिम अली की तुलना एक पक्षी से करते हुए लेखक उन्हें अद्वितीय बताना चाहता है। लेखक की मान्यता है कि दूसरे सालिम अली ‘न भूतो न भविष्यति’ अर्थात् न हुआ है न होगा। कोई अपने दिल की धड़कन और हलचल भी दे दे , तो भी दूसरा सालिम अली पैदा नहीं हो सकता।

(ग)- सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे।
उत्तर - सालिम अली अद्वितीय प्रकृति प्रेमी थे। उन्हें प्रकृति के लगभग सभी उपादानों से सहज लगाव था। वे किसी एक विषय की खोज़ में लगकर स्वयम् को सीमाओं में आबद्ध नहीं करना चाहते थे। तात्पर्य यह कि किसी टापू की तरह एक जगह स्थिर न
रह कर स्वयम् को सागर की तरह विस्तृत किया,जिसमें कई टापू समा सकते हैं।

प्रश्न ५- इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा - शैली का परिचय दीजिए।
उत्तर - जाबिर हुसैन की भाषा पर हिन्दी,अंग्रेजी,उर्दू और संस्कृत भाषाओं का प्रभाव स्पष्ट दिख पड़ता है। हुसैन साहब की शैली कला पूर्ण , भाव-प्रवण ,अनुभूति संपन्न, आलंकारिक और चित्रात्मक है।खिचड़ी शब्दावली के सहारे जटिल वाक्यों की रचना और भावानुरूप भाषा का प्रयोग जितनी सरलता और सहजता से हुसैन साहब कर लेते हैं, उतनी कारीग़री ,वाक्य-गढ़नीयता किसी विरले में ही हो सकती है।

प्रश्न ६- सालिम अली के व्यक्तित्व का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर - सालिम अली अद्वितीय प्रकृति - प्रेमी थे। वे जर्ज़र और कृशकाय थे। शतायु होने के कग़ार पर पहुँचे सालिम अली को कैंसर जैसी जानलेवा और घातक बीमारी लग चुकी थी। श्रम की नैरन्तर्यता और उनकी घुमक्कड़ प्रवृत्ति ने अंतिम दिनों में उन्हें थका डाला था।किन्तु; उनकी खोज़ी प्रवृत्ति न बदल सकी थी । तभी तो सदा आँखों पर चढ़ी रहने वाली उनकी दूरबीन ; मरने के बाद भी गले में लटक रही थी। उम्र भर जंगलों,झरनों ,पहाड़ों और पक्षियों की आवाज़ का संगीत उनमें रोमांच भरता रहा था।वे प्रकृति के प्रतिरूप बन गये थे।

प्रश्न ७ -‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर - साँवले सपनों की याद’ शीर्षक छोटा , सुन्दर और आकर्षक है। इसे पढ़कर मन में कुछ प्रश्न उत्पन्न होते हैं; जिनका उत्तर पाने के लिए पाठक का मन व्याकुल होने लगता है और तब तक जिज्ञासा शान्त नहीं होती ; जब तक पाठक पूरी कहानी आद्योपांत पढ़ नहीं लेता। साँवले अर्थात् श्रीकृष्ण के वृन्दावन से आरंभ हुई कहानी सालिम अली की वन्य-भूमि में समा जाती है और उनके सपनों का विशेषण बनकर उनके के रंग में रंगती चली जाती है।इस प्रकार सालिम अली के सपने ‘साँवले सपने’ बन जाते हैं और उनकी याद ; ‘साँवले सपनों की याद’। इस तरह हम कह सकते है कि शीर्षक सार्थक एवम् सठीक है।

प्रश्न ८ - पर्यावरण को बचाने में आप कैसे योगदान दे सकते हैं ?

उत्तर -  पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है,अत: हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए।हमें अपनी सुख - सुविधाओं के लिए प्राकृतिक उपादानों के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। उनकी सुरक्षा और संरक्षा का भार स्वयम् उठाना चाहिए। कूड़ा-कचरा, पोलिथीन या प्लास्टिक जैसी दूषित सामग्री इधर - उधर न फेंककर निर्धारित स्थानों का उपयोग करना चाहिए।भोजन के बाद बचे - खुचे अंश को पशु-पक्षियों को देना चाहिए।पेड़ लगाना और धरती की हरियाली बचाए रखने जैसी बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए । ऐसा करके हम पर्यावरण की बचाने में हम अपना योगदान दे सकते हैं। 
॥ इति - शुभम् ॥
विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

7 comments:

  1. nice its superb

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  2. any study material?

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  3. Thanks but you should provide meaning of poem too

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  4. 1 oues hai ki salim Ali ki aakho par chadai door been unki maut ke baad hi utri, aisa lekhak me kyu kaha uttar dijiye?

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