अट नहीं रही है
प्रश्न १-
छायावाद की एक खास विशेषता है अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य
बिठाना।कविता की किन पंक्तियों को पढकर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।
उत्तर - कविता के
निम्नलिखित पंक्तियों को पढकर यह धारणा पुष्ट होती है कि प्रस्तुत कविता में
अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाया गया है :-
कहीं साँस लेते हो ,
घर घर भर देते हो
,
उड़ने को नभ में
तुम,
पर पर कर देते हो ।
प्रश्न २ - कवि की
आँख फागुन की सुन्दरता से क्यों नहीं हट रही
है?
उत्तर - फागुन के
महीने में प्रकृति के समस्त उपादानों पर सौन्दर्य छा जाता है।खेत-खलिहानों,
बाग़-बगीचों में प्राकृतिक सौन्दर्य अपने चरम पर
होता है।जीव-जन्तुओं,पशु-पक्षियों में
एक अलग उल्लास झलकता है।फागुन की सुन्दरता तथा मादकता बाह्य परिवेश के साथ-साथ
अन्तर्मन में भी समा जाती है।कवि चाह कर भी आँखें नहीं हटा सकता ; क्योंकि आँखें फ़ेर लेने या बन्द कर लेने पर भी
मन निर्बाध रूप से सौन्दर्य को देखता रहता है।
प्रश्न ३ -
प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन
किन रूपों में किया है ?
उत्तर - प्रस्तुत
कविता ‘अट नहीं रही है’ में कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी ने फागुन के सर्वव्यापक सौन्दर्य और मादक रूप के प्रभाव
को दर्शाया है।पेड़-पौधे नए-नए पत्तों,फल और फूलों से अटे पड़े हैं,हवा सुगन्धित हो
उठी है,प्रकृति के कण-कण में
सौन्दर्य भर गया है। खेत-खलिहानों, बाग़-बगीचों ,
जीव-जन्तुओं,पशु-पक्षियों एवम् चौक-चौबारों में फ़ागुन का उल्लास सहज ही
दिखता है।
प्रश्न ४ - फागुन
में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न
होता है ?
उत्तर - फागुन में
सर्वत्र मादकता मादकता छाई रहती है।प्राकृतिक शोभा अपने पूर्ण यौवन पर होती
है।पेड़-पौधे नए-नए पत्तों,फल और फूलों से
लद जाते हैं,हवा सुगन्धित हो
उठती है।बाग़-बगीचों और पशु-पक्षियों में फ़ागुन का उल्लास भर जाता है। ऐसा परिवर्तन
केवल और केवल फागुन में ही होता है।अत: कहा जा सकता है कि फागुन में जो होता है;वह बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है।
प्रश्न ५ - इन
कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की
विशेषताएँ बताएँ ।
उत्तर - महाकवि
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी छायावाद के प्रमुख कवि माने जाते हैं।छायावाद की
प्रमुख विशेषताएँ हैं- प्रकृति चित्रण और प्राकृतिक उपादानों का मानवीकरण।‘उत्साह’ और ‘अट नहीं रही है’
दोनों ही कविताओं में प्राकृतिक उपादानों का
चित्रण और मानवीकरण हुआ है। काव्य के दो
पक्ष हुआ करते हैं-अनुभूति पक्ष और अभिव्यक्ति पक्ष अर्थात् भाव पक्ष और शिल्प
पक्ष ।इस दृष्टि से दोनों कविताएँ सराह्य हैं। छायावाद की अन्य विशेषताएँ जैसे गेयता
, प्रवाहमयता , अलंकार योजना और संगीतात्मकता आदि भी विद्यमान
है।‘निराला’ जी की भाषा एक ओर जहाँ संस्कृतनिष्ठ, सामासिक और आलंकारिक है तो वहीं दूसरी ओर ठेठ
ग्रामीण शब्द का प्रयोग भी पठनीय है। अतुकांत शैली में रचित कविताओं में क्राँति का
स्वर , मादकता एवम् मोहकता भरी
है। भाषा सरल, सहज, सुबोध और
प्रवाहमयी है।
प्रश्न ६- होली
के आस-पास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते
हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर - वसंत ऋतु
में जब प्रकृति सजने लगती है, उसका रूप निखर
उठता है और उस पर यौवन का खुमार छा जाता है तब होली का त्योहार उसका श्रृंगार करने
आता है।मौसम सुहाना हो उठता है । समस्त वातावरण में नवीनता का संचार हो जाता
है। चहुँओर नए पत्ते एवम् फल-फूल दिखाई पड़ते हैं।खेती पक कर तैयार होने लगती
है।प्रकृति फल-फूल-कन्द-मूल एवम् धन-धान्य से भरपूर होकर अन्नपूर्णा बन जाती
है।वातावरण हर्षोल्लासपूर्ण तथा मोहक बन जाता है।
॥ इति - शुभम् ॥
विमलेश दत्त दूबे
‘ स्वप्नदर्शी ’
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