Sunday 13 April 2014

BALGOBIN BHAGAT बालगोबिन भगत cbse class 10 hindi

बागोबि


प्रश्न-१- खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?
उत्तर- बालगोबिन भगत खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ थे पर अपनी चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे। वह कबीर में सच्ची श्रद्धा रखते थे। वह हमेशा लंगोटी और सर पर कनफटी टोपी पहने रहते थे। वह अपने मस्तक पर रामानंदी चंदन लगाते और गले में तुलसी की माला पहनते थे। वह सबसे एक जैसा व्यवहार रखते थे और किसी से झगड़ा नहीं मोलते थे। वह हमेशा कबीर के पद गुनगुनाते और किसी से झूठ नहीं बोलते थे।

प्रश्न-२- भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?
उत्तर- भगत जी का उनके एकमात्र पुत्र के अलावा और कोई नहीं था जो कि अब मर चुका था और उनकी पतोहू यह बात जानती थी। वह जानती थी कि उनके बुढ़ापे में अब उसके अलावा कोई नहीं था । वह चाहती थी कि वह उनके साथ रहकर उनकी सेवा करे।

प्रश्न-३- भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?
उत्तर- भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर दुखी होने के बजाय उत्सव मनाने को कहा। उन्होने अपने बेटे की मृत्यु को ईश्वर की इच्छा बताई। उन्होंने अपने बेटे के शव को सफेद वस्त्र से ढँका और उसे फूलों से सजाया और दीपक जलाया। वे फिर खँजड़ी की ताल पर गाते चले गए।]
प्रश्न-४- भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- भगत जी गृहस्थ होते हुए भी एक साधु की तरह रहते थे। वे तेली जाति के थे, वे एक गोरे-चिट्टे,मँझले कद के आदमी थे। उनकी उमर लगभग साठ वर्ष की होगी । वे कमर में लंगोटी पहने रहते थे और सर पर एक कनफटी टोपी तथा गले मे तुलसी की माला धारण किए हुए रहते थे।

प्रश्न-५- बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?
उत्तर- भगत जी की दिनचर्या सबको अचरज में डाल देती थी।इतने बूढ़े होने पर भी सवेरे उठकर दो मील दूर नदी में स्नान करने जाते एवं वापसी के वक्त वे भक्ति की गीत गाते। खेतों में अकेले ही खेती करते रहना विपरीत परिस्थिति होने के बाद भी उनकी दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं आता था।  वे बहुत सरल तथा सादगी से भरे थे। वे कभी किसी से झूठ नहीं बोलते थे और किसी से झगड़ा भी नहीं मोलते थे। वे किसी की चीज़ बिना पूछे छूते भी नहीं थे और बहुत खरा व्यवहार रखते थे। इसी को देखकर लोग दंग रह जाते थे ।
प्रश्न-६- पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- भगत जी कबीर के गीत गाते थे। वे बहुत मस्ती से गाया करते थे।कबीर के पद उनके कंठ से निकलकर सजीव हो उठते थे , उनका स्वर बहुत मधुर था। उनके गीत सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। औरतें उस गीत को गुनगुनाने लगतीं थी। उनके गीत का मनमोहक प्रभाव सारे वातावरण में छा जाता था।
प्रश्न-७- कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिये। 
उत्तर- कुछ मार्मिक प्रसंग हैं, जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे, 
जैसे :- बालगोबिन भगत के पुत्र की मृत्यु हुई , तो उन्होंने सामाजिक परंपरा के अनुसार अपने पुत्र का क्रिया-कर्म नहीं किया बल्कि अपने पुत्र को मुखाग्नि अपनी पुत्रवधू से ही दिलावाई । हमारे समाज में विधवा विवाह का निषेध है, परंतु बालगोबिन भगत ने अपनी पुत्रवधू के भाई को बुलाया और पुत्रवधू को पुनर्विवाह करने का आदेश दे देकर भेज दिया।

प्रश्न-८- धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह चमत्कृत कर देती थीं ? उस माहौल का शब्द चित्र प्रस्तुत कीजिए |
उत्तर- आषाढ़ की रिमझिम में खेतों में धान की रोपाई चल रही है भगत कीचड़ से लथपथ अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं । उनके हाथ धान की एक - एक रोपनी कर रहे है साथ ही उनकी स्वर - लहरी समस्त वातावरण में गूँज रही है। बालगोबिन भगत के कंठ से निकलता मधुर संगीत लोगों के मन में झंकार उत्पन्न कर रहा है। हलवाहों के पैर और रोपाई करने वाले लोगों की उँगलियाँ गीत की स्वरलहरी के अनुरूप चलने लगी हैं सुननेवाले भी गुनगुनाने लगे हैं। भगत जी का संगीत सिर चडने लगा है।
प्रश्न-९ - ‘उनकी सब चीज़ साहब की थी’- इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- बालगोबिन भगत कबीर को साहब पुकारते थे। उनके अनुसार उनका सब कुछ साहब का था। उनके खेत में जो कुछ भी पैदा होता वे उसे साहब के दरबार में ले जाते और भेंट स्वरूप चढ़ा देते । वहाँ से  प्रसाद के रूप में जो भी  मिलता उसे स्वीकार कर लेते और घर ले आते।उसी प्रसाद से अपना गुज़ारा करते थे ।

प्रश्न-१० - बालगोबिन भगत की मृत्यु किस प्रकार हुई ?
उत्तर- बालगोबिन भगत हर साल गंगा-स्नान करने जाते थे । चार-पाँच दिन के इस सफर में कुछ भी नहीं खाते थे। वे घर लौटकर हीं खाते थे। इस बार जब वे घर लौटे तो उनकी तबीयत बिगड़ गई थी और फिर सुधरी नहीं और उनके मृत्यु का कारण बन गई।

॥ इति - शुभम् ॥

अगला पोस्ट क्लास 10 के लिए...))

  बिमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी '

 


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