Friday 28 March 2014

sur ke pad class x hindi a cbse मन की मन ही माँझ रही ।



पद - 2


मन   की   मन   ही   माँझ   रही ।
कहिए  जाइ  कौन  पै ऊधौ , नाहीं   परत   कही ।
अवधि असार आस आवन की , तन - मन विथा सही।
अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि ,विरहिनि विरह दही ।
चाहति हुती गुहारि जितहिं  तैं  ,   तैं  धार  बही ।
'सूरदास' अब धीर धरहिं क्यौं  , मरजादा   न  लही ॥
व्याख्या

श्री कृष्ण के मित्र उद्धव जी जब कृष्ण का संदेश सुनाते हैं कि वे नहीं आ सकते , तब गोपियों का हृदय मचल उठता है और अधीर होकर उद्धव से कहती हैं-

हे उद्धव जी! हमारे मन की बात तो हमारे मन में ही रह गई। हम कृष्ण से बहुत कुछ कहना चाह रही थीं, पर अब हम कैसे  कह पाएँगी। हे उद्धव जी! जो बातें हमें केवल और केवल श्री कृष्ण से कहनी है, उन बातों को किसी और को कहकर संदेश नहीं भेज सकती। श्री कृष्ण ने जाते समय कहा था कि काम समाप्त कर वे जल्दी ही लौटेंगे। हमारा तन और मन उनके वियोग में दुखी है, फिर भी हम उनके वापसी के समय का इंतजार कर रही थीं । मन में बस एक आशा थी कि वे आएँगे तो हमारे सारे दुख दूर हो जाएँगे। परन्तु; श्री कृष्ण ने हमारे लिए ज्ञान-योग का संदेश भेजकर हमें और भी दुखी कर दिया। हम तो पहले ही दुखी थीं, अब इस संदेश ने तो हमें कहीं का नहीं छोड़ा। हे उद्धव जी! हमारे लिए यह विपदा की घड़ी है,ऐसे में हर कोई अपने रक्षक को आवाज लगाता है। पर, हमारा दुर्भाग्य देखिए कि ऐसी घड़ी में जिसे हम पुकारना चाहती हैं, वही हमारे दुख का कारण है। हे उद्धव जी! प्रेम की मर्यादा है कि प्रेम के बदले प्रेम ही दिया जाए ,पर श्री कृष्ण ने हमारे साथ छल किया है उन्होने मर्यादा का उल्लंघन किया है अत: अब हमारा धैर्य भी जवाब दे रहा है।

संदेशा


प्रेम का प्रसार बस प्रेम के आदान-प्रदान से ही संभव है और यही इसकी मर्यादा भी है। प्रेम के बदले योग का संदेशा देकर श्री कृष्ण ने मर्यादा को तोड़ा,तो उन्हे भी जली-कटी सुननी पड़ी। और प्रेम के बदले योग का पाठ पढ़ानेवाले उद्धव को भी व्यंग्य और अपमान झेलना पड़ा। अत: किसी के प्रेम का अनादर करना अनुचित है।

प्रश्न 

() गोपियों की मन की बात मन में ही क्यों रह गई?
उत्तर- कृष्ण गोपियों को अकेला छोड़ चले गए थे। वे गोपियों से मिलने आने की बजाय उनके लिए योग-संदेश भेज दिए। गोपियाँ अपने मन की बात उन्हें बता नहीं पाई। वे कृष्ण के सामने अपना प्रेम प्रकट नहीं कर पाई। अतउनके मन की बात मन में ही रह गई।

() गोपियों की विरहाग्नि और अधिक क्यों धधक गई?

उत्तर-जब गोपियों को पता चला कि श्री कृष्ण ने स्वयंआने की जगह उद्धव द्वारा खुद को गोपियों से दूर करने वाले योग-संदेश को भेज दिया है तो गोपियों की विरहाग्नि और धधक गई।

() गोपियाँ किस आशा में दुख सहकर भी जी रहीं थीं? 

उत्तर-गोपियों को विश्वास था कि श्री कृष्ण हमेशा के लिए नहीं गए हैं
 वे जल्द हीं लौटकर आ जाएँगे। वे मन में इसी विश्वास को लेकर विरह-व्यथा सह रहीं थीं।

 नोट :- अगला पद क्रमश: ........ अगले पोस्ट में ))

विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

22 comments:

  1. Nice elaboration. Thanks a lot !!

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  2. Mann ki mann hi maanjh rhi main konsa ras aayega??? Plzz inform me

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    1. वियोग श्रृंगार रस प्रयुक्त हुआ है

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  3. What is the meaning of धार बही in 5th line

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  4. Dusra pad khan se milega???please reply as soon as possible 😕🙏🏻

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  5. Thanks great answer

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  6. Thanks a lot very gd explanation
    ...

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  7. Thank u so much it's help me a lot ❤️❤️

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