दंतुरित मुसकान
प्रश्न 1- बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ा? उत्तर - दंतुरित का अर्थ है- बच्चे में पहली बार दाँत निकलना । बच्चों की दंतुरित मुसकान बड़ी मोहक होती है।अपने बच्चे की उस मुसकान पर कवि मोहित हो गया।उस निश्छल मुसकान ने कवि का हृदय परिवर्तन कर दिया। बाँस और बबूल जैसी कठोर प्रकृति वाले कवि को लगा कि उसके आस-पास शेफ़ालिका के फूल झड़ने लगे हों।वह मुसकान इतनी करिश्माई लगी जैसे मृतक में भी जान डाल सकती है। पत्थर को भी पिघला सकती है।उस मुसकान से प्रभावित संन्यास धारण कर चुका कवि पुन: गृहस्थ-आश्रम में लौट आया।
प्रश्न 2- बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है?
उत्तर - बच्चे अबोध होते हैं । अत: उनकी मुसकान निश्छल , नि:स्वार्थ और सहज होती है।उनमें इतनी समझ नहीं होती कि कब, कहाँ, किस बात पर और कैसे मुसकाना चाहिए । वे तो बस...अपनी स्वाभाविक मुसकान बिखेरना जानते हैं।
बड़े व्यक्ति परिपक्व बुद्धि के होते हैं। उनकी मुसकान समय, स्थान, परिस्थिति आदि पर आधारित होती है। वे अपनी मुसकान पर नियंत्रण करना जानते हैं; अत: उनकी मुसकान में सहजता कम और बनावटीपन अधिक रहता है।कह सकते हैं कि बच्चे की मुसकान हृदय छू लेती है, जबकि बड़ों की मुसकान वैसा आकर्षण नहीं रखती।
प्रश्न 3-कवि ने बच्चे की मुसकान के सौन्दर्य को किन-किन बिम्बों के माध्यम से व्यक्त किया है?
उत्तर - कवि नागर्जुन ने बच्चे की मुसकान के सौन्दर्य को जिन बिम्बों के माध्यम से व्यक्त किया है,वे निम्नलिखित हैं:--
*मृतक में भी जान डाल देना ।
*कमल का तालाब छोड़कर झोपड़ी में खिलना ।
*बाँस या बबूल से शेफ़ालिका के फूलों का झड़ना ।
*स्पर्श पाकर पाषाण का पिघलना
*तिरछी नज़रों से देख कर मुसकाना।
प्रश्न 4- भाव स्पष्ट कीजिए :--
(क) - छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात ।
उत्तर - प्रस्तुत काव्यांश का भाव है कि कोमल शरीर वाले बच्चे खेलते हुए बहुत आकर्षक लगते हैं।उन्हें देख ऐसा लगता है, जैसे कोई कमल का फूल तालाब में न खिलकर वहीं पर खिल गया हो।
(ख) - छू गया तुमसे कि झड़ने लग पड़े शेफ़ालिका के फूल
बाँस था कि बबूल ?
उत्तर - प्रस्तुत काव्यांश का भाव है कि बच्चों के स्पर्श में ऐसा जादू होता है कि कठोर प्रकृति वाले भावहीन और संवेदनाशून्य व्यक्तियों में भी सुख , आनंद और वात्सल्य-रस का संचार कर देता है।
प्रश्न 5- मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं।इनकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिए ।
उत्तर - मुसकान और क्रोध परस्पर विलोम भाव हैं। मुसकान से चेहरा आकर्षक , मन में प्रसन्नता और वातावरण में उल्लास भर जाता है।मुसकान कठोर एवम् भावशून्य हृदय वाले को भी कोमल और भावयुक्त बना देती है। इसमें पराए को भी अपना बना लेने की अद्भुत क्षमता होती है। जबकि; ठीक इसके विपरीत क्रोध से चेहरा भयानक,मन अशान्त और वातावरण तनावयुक्त बन जाता है।क्रोध से हृदय कठोर और संवेदनहीन हो जाता है।लोगों में भय और आतंक उत्पन्न हो जाता है, जिससे ग़ैर तो ग़ैर अपने भी पराए बन जाते हैं।
प्रश्न 6- ‘दंतुरित मुसकान’ से बच्चे की उम्र का अनुमान लगाइए और तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर - ‘दंतुरित मुसकान’ कविता को पढ़कर पाठक बड़ी सहजता से अनुमान लगा सकता है कि बच्चे की उम्र आठ - दस महीने की रही होगी। प्राय: 6 -10 महीने के बच्चे दंतुरित होने लगते हैं अर्थात् उनके दाँत निकलने आरम्भ हो जाते हैं। कई बार इससे कम या अधिक समय भी लग जाया करता है,परन्तु यहाँ माँ उँगलियों से मधुपर्क करा रही है।अत: बच्चे की उम्र अभी निश्चित रूप से 8-10 महीने ही रही होगी।अपने घर-परिवार में बच्चों के दंतुरित होने की उम्र को हम साक्षात् देख सकते हैं।
प्रश्न 7- बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर - कवि और वह बच्चा दोनों एक-दूसरे के लिए सर्वथा अपरिचित थे। कवि ने जब अपने बच्चे और उसके दंतुरित मुसकान को देखा तो उसके भीतर जैसे वात्सल्य - रस का स्रोत फूट पड़ा । समाज का त्याग कर संन्यास ले लेने वाले कवि का हृदय बच्चे के स्पर्श से इतना भावुक, रोमांचित और अभिभूत हो उठा कि वह पुन: गृहस्थ - आश्रम में लौट आया। बच्चे ने कवि की उंगलियाँ पकड़ रखी थी और अपलक कवि को निहार रहा था। बच्चा कहीं देखते-देखते थक न जाए ,ऐसा सोचकर कवि अपनी आँखें फेर लेता है। किन्तु बच्चा उसे तिरछी नज़रों से देखता है,जब दोनों की आँखें मिलती हैं तो बच्चा मुसका देता है। बच्चे की यह अदा कवि के मन को बहुत भाती है ।
॥ इति - शुभम् ॥
Pls provide the summary of this poem as soon as possible mr dubey.
ReplyDeleteExams are approaching��