Wednesday 20 August 2014

CBSE CLASS X HINDI GRAMMAR ANUBHAV (अनुभाव)

  अनुभाव

अनुभाव का अर्थ है- किसी भाव के उत्पन्न होने के बाद उत्पन्न होने वाला भाव।तात्पर्य यह कि जब किसी के हृदय में कोई भाव उत्पन्न होता है और उत्पन्न भावों के परिणाम स्वरूप वह जो चेष्टा करता है या उसमें जो क्रियात्मकता आती है , उस चेष्टा या क्रियात्मकता को अनुभाव कहते हैं।
जैसे - क्रोध का भाव जगने पर.....


 काँपना , दाँत पीसना,मुट्ठी भींचना,गुर्राना,आँखें लाल हो जाना आदि अनुभाव हैं।
 
अनुभाव दो प्रकार के होते हैं :-
(अ) साधारण अनुभाव :- कोई भी भाव उत्पन्न होने पर जब आश्रय (जिसके मन में भाव उत्पन्न हुआ है) जान- बूझ कर यत्नपूर्वक कोई चेष्टा , अभिनय अथवा क्रिया करता है,तब ऐसे अनुभाव को साधारण या यत्नज अनुभाव कहते हैं।

 जैसे :- बहुत प्रेम उमड़ने पर गले लगाना

 क्रोध आने पर धक्का देना आदि साधारण या यत्नज अनुभाव हैं।


(आ) - सात्विक अनुभाव :- कोई भी भाव उत्पन्न होने पर जब आश्रय (जिसके मन में भाव उत्पन्न हुआ है) द्वारा अनजाने में अनायास, बिना कोई यत्न किए स्वाभाविक रूप से कोई चेष्टा अथवा क्रिया होती है,तब ऐसे अनुभाव को सात्विक या अयत्नज अनुभाव कहते हैं।


 जैसे - डर से जड़वत् हो जाना , पसीने पसीने होना , काँपना
चीख पड़ना , हकलाना  और रोना आदि सात्विक या अयत्नज अनुभाव हैं।

॥ इति - शुभम् ॥
 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

No comments:

Post a Comment