Sunday 3 August 2014

CBSE CLASS 10 HINDI GRAMMAR - BHAV SANCHARI BHAV (हिन्दी व्याकरण भाव संचारी भाव)

भाव

स्थायी भाव के साथ विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से प्राप्त चामत्कारिक आनंद-विशेष को रस कहते हैं।
(१) संचारी भाव/व्यभिचारी भाव - संचारी का अर्थ है- साथ साथ संचरण करने वाला अर्थात् साथ-साथ चलने वाला। संचारी भाव किसी न किसी स्थायी भाव के साथ प्रकट होते हैं। ये क्षणिक,अस्थायी और पराश्रित होते हैं, इनकी अपनी अलग पहचान नहीं होती ।ये किसी एक स्थायी भाव के साथ न रहकर सभी के साथ संचरण करते हैं , इसलिए इन्हें व्यभिचारी भाव भी कहा जाता है।

* संचारी भाव या व्यभिचारी भाव 33 होते हैं :--
१- अपस्मार(मूर्छा)      १२- चपलता      २३- लज्जा
२- अमर्ष(असहन)      १३- चिन्ता       २४- विबोध
३- अलसता           १४- जड़ता       २५- वितर्क
४- अवहित्था(गुप्तभाव)  १५- दैन्य        २६- व्याधि
५- आवेग            १६- धृति        २७- विषाद
६- असूया            १७- निद्रा        २८- शंका
७- उग्रता             १८- निर्वेद(शम)   २९- श्रम
८- उन्माद            १९- मति        ३०- संत्रास
९- औत्सुक्य          २०- मद         ३१- स्मृति
१०- गर्व             २१- मरण        ३२- स्वप्न
११- ग्लानि           २२- मोह         ३३- हर्ष

॥ इति - शुभम् ॥
 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

7 comments:

  1. सर मुझे असूया,औत्सुक्य,जड़ता,धृति, विबोध,व्याधि,त्रास इनके अर्थ जानना हैं क्या आप मुझे इनका अर्थ बता देंगे

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