Thursday 17 April 2014

KABIR KI SAKHIYAN cbse class 9 hindi A kshitij कबीर की साखियाँ सबद और पद के प्रश्नोत्तर



 कबीर
प्रश्न १:- ‘मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर :- ‘मानसरोवर’ का अर्थ हैं -
       महान सरोवर जो हिमालय पर है जिसमें हंस
       विचरण करते हैं। 
       अथवा मानस या मन रुपी सरोवर ।


प्रश्न २:- कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है?
उत्तर :- कवि के अनुसार सच्चा प्रेमी वह है जिससे मिलने पर मन के सारे विकार और मलिनता नष्ट हो जाती है। समस्त पाप स्वाहा हो जाते हैं और सद्विचारों का आगम होने लगता है।

प्रश्न ३:- तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्व दिया है?
उत्तर :- तीसरे दोहे में कवि ने स्वानुभव से प्राप्त व्यवहारिक ज्ञान को महत्व दिया गया है।

प्रश्न ४:- इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?
उत्तर :-  कबीर जी ने सच्चा संत उसे कहा है जो जाति - पाँति या धर्म के भेद-भाव के झगड़े में न पड़कर तटस्थ रहते हुए  प्रभु की भक्ति में मगन रहता है।

प्रश्न ५:- अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?
उत्तर :- अंतिम दो दोहों में कबीरदास ने अपने मत या धर्म को श्रेष्ठ मानने और दूसरे के धर्म की हेय समझने की संकीर्णता और ऊँचे कुल में जन्म ग्रहण करने की संकीर्णता।


प्रश्न ६:- किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिये।
उत्तर :- किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से ही होती है, उसके कुल से नहीं। अब तक इस संसार में न जाने कितने लोग आए और चले गए। पर कुछ लोग ऐसे हुए जिनका नाम आज तक हमारी जिह्वा पर रहता है जैसे - राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर आदि। ये केवल अपने कुल की उच्चता के कारण नहीं जाने गए ; बल्कि इन्होंने ऊँचे कर्म किए। इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण मिल जाएँगे जो साधारण कुल मे जन्म लिए लेकिन समाज उनको सदा आदर से याद करता है ; जुलाहा परिवार के कबीरदास स्वयं इसके उदाहरण हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि व्यक्ति की पहचान उसके कर्म से होती है कुल से नहीं।
प्रश्न ७ :- काव्य - सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए -
       हस्ती चढिए ज्ञान कौ , सहज दुलीचा डारि ।
       स्वान  रुप  संसार है , भूँकन  झख मारि ॥

उत्तर:-
*भाव - सौन्दर्य :- प्रस्तुत काव्यांश में कबीर ने ज्ञान के  साथ - साथ विनम्रता की आवश्यकता पर बल देते हुए यह भी बताया है कि लोगों की नुक्ताचीनी पर ध्यान न देकर सच की राह पर चलते रहना चाहिए।
**शिल्प - सौन्दर्य :-
(अ)- सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग है ।
(आ)- रुपक अलंकार की छ्टा छिटकी है।
(इ)- तत्सम एवम् तद्भव शब्दों का मेल दिखता है।
(ई)- दार्शनिक - चिन्तन की सहज अभिव्यक्ति हुई है।


प्रश्न ८:- मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है?
उत्तर :- मनुष्य ईश्वर को विभिन्न धर्मों के पूजा स्थलों जैसे - मंदिर, मस्ज़िद में,विभिन्न धर्मों के तीर्थ स्थानों जैसे - काबा, कैलाश, विभिन्न प्रकार के क्रिया - कलापों जैसे योग, वैराग्य या फ़िर विभिन्न पूजा-पद्धतियों में ढूँढ़ता फिरता है।

प्रश्न ९:- कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?
उत्तर :- कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए समाज में परम्परा से प्रचलित मान्यताओं और विश्वासों क खंडन किया है और कहा है कि मंदिर - मस्ज़िद जैसे पूजा - स्थलों , काबा - कैलाश सरीखे तीर्थों के भ्रमण या फ़िर योग - साधना एवं वैराग्य जैसे कृत्यों से ईश्वर-प्राप्ति नहीं होती।ये सब आडंबर है।

प्रश्न १०:- कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वांसों की स्वाँस में' क्यों कहा है?
उत्तर :- कबीर की मान्यता के अनुसार, ईश्वर का वास किसी एक निर्धारित स्थान पर नहीं बल्कि वह सृष्टि के कण - कण में है। उसे खोजने के लिए कहीं भटकने की आवश्यकता नहीं ;अपने अन्दर ढूँढ़ने की जरुरत है । सर्व-व्यापी होने के कारण वह हर प्राणी में समाया हुआ है।यही कारण है कि कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वांसों की स्वाँस में' क्यों कहा है।

प्रश्न ११:- कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की ?
उत्तर :- सामान्य हवा की गति मन्द और सभी के लिए अनुकूल होती है जबकि ; आँधी सब कुछ तितर - वितर कर देती है । कबीर ने ज्ञान के आगमन की आँधी से की है क्योंकि ज्ञान के आगमन मात्र से पूरी जीवन - शैली में अचानक बदलाव आ जाता  है। व्यक्ति एकाएक सांसारिक बंधनों से पूरी तरह मुक्त हो जाता है।

प्रश्न १२:- ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :- ज्ञान की आँधी ज्ञानी के मन के सारे भ्रम को दूर कर देती है । मोह , माया , स्वार्थ , लोभ एवं लालच सब नष्ट हो जाते हैं । मन के समस्त विकार धुल जाते हैं। कुबुद्धि के स्थान पर सद्बुद्धि का आविर्भाव होता है एवं ज्ञानी का मन भक्ति और प्रेम की वर्षा में भींगने लगता है।

 
प्रश्न १३:- भाव स्पष्ट कीजिए :-
(क)-हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी,मोह बलिंडा तूटा ।
उत्तर:- प्रस्तुत काव्यांश का भाव यह है कि ज्ञान मन के मोह , माया और स्वार्थ जैसे विकार को दूर कर देता है। अत: जीवन में ज्ञानार्जन बहुत आवश्यक है ।

(ख)- आँधी पीछे जो जल बूठा,प्रेम हरि जन भीना ।
उत्तर:- प्रस्तुत काव्यांश का भाव यह है कि ज्ञान की आँधी ज्ञानी के मन समस्त विकार को समाप्त कर देती है जिससे उसका मन भक्ति और प्रेम की वर्षा में भींगने लगता है।
 
 ॥ इति-शुभम् ॥
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बिमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी '

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